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क्या है मातृत्व अवकाश प्रोत्साहन योजना ?

मां बनना कोई आसान काम नहीं है और इस बारे में पूरी दुनिया का हर एक इंसान जानता है। मां बनना अपने आप में ही एक बड़ी चुनौती होती है जिसके लिए बहुत ही ज्यादा ताकत की जरूरत होती है। औरत का शरीर सहनशील होता है और शायद भगवान ने इसीलिए उसे मां बनने जैसा सुख दिया है। आज के दौर में औरतें अच्छी प्रगति कर चुकी है और साथ ही पुरुषों के साथ कदम से कदम मिलाकर चलती है।

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आज हर कोई औरतों को बराबरी का दर्जा देता है। आज की सशक्त नारी घर पर काम करने से लेकर ऑफिस में काम करना दोनों चीजों को बहुत ही आराम से संभालती है। यही वजह है कि मां बनने के समय वह अपनी नौकरी को नहीं छोड़ना चाहती है। लेकिन भारत देश में अभी भी कई ऐसी नौकरियां हैं जिनमें महिलाओं को मातृत्व अवकाश नहीं दिया जाता है। इसकी वजह से कई महिलाओं को अपनी नौकरी छोड़नी पड़ती है। यही वजह है कि भारत की सरकार एक ऐसी योजना लेकर आई है जिसकी वजह से महिलाओं और भी ज्यादा मदद मिलेगी। इस योजना का नाम मातृत्व अवकाश प्रोत्साहन योजना (Maternity Leave Incentive Scheme) है। आज इस लेख में हम आपको इसी योजना के बारे में बताने जा रहे हैं।

क्या है मातृत्व अवकाश प्रोत्साहन योजना?

कई जगहों पर आज नारी अपने पैरों पर खड़ी हुई है यानी कि उसे अब किसी के सहारे की आवश्यकता नहीं है। लेकिन इसी के साथ-साथ वह अपने परिवार को भी अपने साथ लेकर चलती है और इसी वजह से पूरे परिवार की जिम्मेदारी लेकर चलती है। अपने सपनों को पूरा करने के लिए आज की नारी नौकरी तो करती है उसी के साथ-साथ अपने घर का काम भी देखती है।

शादी के बाद कई महिलाओं को अपनी नौकरी छोड़नी पड़ती है। और ऐसा सिर्फ इसलिए होता है क्योंकि वह मां बनने का सुख भोगना चाहती है। लेकिन भारत देश में अभी भी कई ऐसी नौकरियां है जिनमें महिलाओं को मातृत्व अवकाश या फिर मेटरनिटी लीव नहीं दिया जाता है। ऐसा सिर्फ इसलिए होता है क्योंकि उन्हें लगता है कि मेटरनिटी लीव देने से अच्छा है कि वह नौकरी ही छोड़ दें।

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शिशु जन्म के बाद या पहले कामकाजी महिलाओं को कंपनी की ओर से कुछ समय के लिए ही पेड अवकाश दिया जाता है। यह अवकाश प्रसव व नवजात शिशु की देखभाल के लिए दिया जाता है जिसका पूरा भुगतान कंपनी के द्वारा किया जाता है और इसी को मातृत्व अवकाश या मेटरनिटी लीव कहते हैं। इसमें गर्भावस्था के अंतिम हफ्तों को भी शामिल किया जाता है और मैटरनिटी लीव में गर्भावस्था के दौरान महिलाओं को पूरा मुआवजा दिया जाता है, इसे प्रसवपूर्व अवकाश, प्रसूति अवकाश और गर्भावस्था के दौरान अवकाश भी कहा जाता है।

लेकिन भारत में अनेक निजी कंपनियों में ‘मातृत्व अवकाश’ को एक गैरजरूरी जिम्मेदारी के रूप में देखा जाता है। इसी की वजह से यहां महिला कर्मचारियों पर दबाव रहता है कि वे या तो नौकरी छोड़ दें या अपने निजी हितों को त्यागें।
मातृत्व अवकाश को लेकर पूरे देश में एक जैसी नियमावली न होने का खामियाजा तो महिला कर्मचारी भुगत ही रही हैं जिसकी वजह से उनकी सेहत पर भी प्रभाव पड़ता है।

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कई ऐसी महिलाएं होती हैं जो कि अपनी नौकरी को छोड़ना नहीं चाहती हैं स्वर इसी वजह से गर्भावस्था के दौरान भी वह अपने काम को करती रहती हैं। इसकी वजह से गर्भावस्था में भी उनको परेशानियों का सामना करना पड़ता है जो कि सीधा उनके और उनके बच्चे को नकारात्मक रूप से प्रभावित करता है। बीते कई वर्षों में उन्हें मातृत्व अवकाश के लिए न्यायालय का दरवाजा भी खटखटाना पड़ा है।

लेकिन साल 2017 से पहले ही मातृत्व लाभ अभी अधिनियम आया था। मातृत्‍व लाभ अधिनियम, 1961 में आया था जोकि प्रसव के पहले और बाद में कुछ अवधि के लिए कुछ प्रतिष्‍ठानों में महिलाओं की नियुक्ति को विनियमित करता है और मातृत्‍व एवं अन्‍य लाभों की व्‍यवस्‍था करता है। लेकिन इसकी अधिकतम अवधि जिसके लिए महिला मातृत्‍व लाभ के लिए हकदार होगी वह बारह सप्‍ताहों के लिए होगी अर्थात उसके प्रसव का दिन सहित पहले छ: सप्‍ताह तक तथा उस दिन के तुरन्‍त बाद छ: सप्‍ताह के लिए।

इसी वजह से इस अधिनियम में कुछ संशोधन करने के लिए भारत की मोदी सरकार ने योजना का रिलांच किया जोकि सन 2017 में हुआ ।यह योजना श्रम एवं रोजगार मंत्रालय के अंतर्गत कार्यरत है। भारत की केंद्र सरकार ने इस योजना को बढ़ावा देने के लिए कुल 400 करोड़ रूपये का बजट आवंटित किया है।

क्या है योजना की विशेषताएं?

भारत सरकार द्वारा शुरू की गई इस महत्वकांक्षी योजना की कुछ मुख्य विशेषताएं इस प्रकार हैं:

– कंपनी, कारखाने, दुकान, खानों में 10 से अधिक कर्मचारियों को मातृत्व अवकाश प्रोत्साहन योजना के तहत कवर किया गया है।

–पुराने अधिनियम में मातृत्व लाभ अधिनियम 2017 के माध्यम से संशोधन किया गया था जिस संशोधन में, केंद्र सरकार ने 12 सप्ताह से 26 सप्ताह तक महिला कर्मचारियों को भुगतान मातृत्व छुट्टी में वृद्धि की है।

–प्रस्तावित प्रोत्साहन योजना को लागू करने के लिए भारत सरकार के द्वारा योजना के क्रियान्वयन के लिए 400 करोड़ रुपये की अनुमानित राशि आवंटित की गई है ।

–मातृत्व अवकाश प्रोत्साहन योजना (Maternity Leave Incentive Scheme) नियोक्ताओं को महिलाओं को भुगतान की छुट्टी का भुगतान करने में सहायता करेगी । यही नहीं इसकी मदद से सरकार महिलाओं के सरकारी क्षेत्र के साथ-साथ निजी क्षेत्रों में महिलाओं के लिए रोजगार को प्रोत्साहित करेगी।

–मातृत्व अवकाश की अवधि के दौरान महिलाओं का रोज़गार सुरक्षित रहेगा जिसकी मदद से ही वह आ गई जाकर भी अपनी नौकरी को जारी रख पाएंगी।

–इस योजना में अवकाश के साथ ही उन्हें इस अवकाश के दौरान पूर्ण वेतन भी मिलेगा, इसके लिए सिर्फ उन्हें मातृत्व अवकाश फॉर्म भरना होगा।

–योजना के अंतर्गत तीसरे बच्चे के लिए मातृत्व अवकाश नियम या गर्भपात के लिए मातृत्व अवकाश नियम भी यही रहेंगे।

–जिन महिलाओं की वेतन सीमा ₹15,000 तक है; उन महिलाओं को 26 हफ्तों का वेतन / मातृत्व अवकाश प्रदान किया जाता है ।

क्या हैं योजना के उद्देश्य और लाभ?

सरकार के द्वारा शुरू की गई इस योजना (Maternity Leave Incentive Scheme) के उद्देश्य भी बहुत ही महत्वकांशी हैं क्योंकि इसमें महिलाओं को प्रोत्साहन प्रदान किया जाएगा। इस योजना के कुछ मुख्य लाभ और उद्देश इस प्रकार हैं:

1.मातृत्व अवकाश के तहत महिलाओं को 26 हफ्ते की अवकाश अवधि / मैटरनिटी लीव दी जाती है जिसकी मदद से महिलाओं को अपनी नौकरी नहीं छोड़नी पड़ती है और आगे जाकर वह अपनी नौकरी को जारी भी रख पाती हैं। इसका मतलब यह है कि मां बनने की सुख के साथ-साथ अपने सपनों को भी पूरा कर सकती है।

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2.इसके अतिरिक्त महिलाओं को सात हफ्तों का पारिश्रमिक भी वापस कर दिया जाता है जिसका सीधा मतलब यह है कि महिलाओं को पेड लीव दी जाती है। यह महिलाओं की वित्तीय सहायता करने में भी उनकी मदद करेगी।

  1. मेटरनिटी लीव इंसेंटिव प्रदान करके महिलाओं को सुरक्षा एवं सुरक्षित परिवेश सुनिश्चित किया जाता है।
  2. आर्थिक लाभ के साथ-साथ महिलाओं को अन्य लाभ जैसे कि उनके खानपान से जुड़े लाभों को भी उन तक पहुंचाया जाता है।

5.शिशु के जन्म से पहले और बाद में भी महिलाओं को इस योजना के तहत विशेष लाभ प्रदान किए जाते हैं इसका मतलब यह है कि शिशु के पैदा होने के बाद भी महिलाएं उसके साथ कुछ समय व्यतीत कर पाती हैं।

6.इस योजना के तहत न केवल सरकारी और गैर सरकारी संस्थानों में काम करने वाली महिलाओं को लाभ पहुंचाया जाता है बल्कि फैक्ट्री या कारखाने में काम करने वाली गर्भवती महिलाओं को भी लाभ पहुंचाया जाता है। इसका सीधा साधा मतलब यह है कि मजदूरी करने वाली औरतों को भी या फिर फ्री में काम करने वाली औरतों को भी इसका लाभ मिलेगा।

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