जानिए किसानों ने आंदोलन खत्म करने से क्यों किया इनकार ?
दिल्ली। आज सुबह दिए गए राष्ट्र के नाम सन्देश में पीएम मोदी ने कृषि बिल वापस लेने की घोषणा की है। पीएम ने विरोध कर रहे किसानों से घर लौटने की भी अपील की है।
केंद्र द्वारा लाए गए तीनों कृषि बिलों का तकरीबन डेढ़ सालों से किसान विरोध कर , बिल वापस लिए जाने की मांग कर रहे थे। राजधानी दिल्ली बॉर्डर समेत कई राज्यों में किसान लम्बे समय से प्रदर्शन कर रहे थे। इसको लेकर किसान और सरकार के बीच मे कई बार बातचीत कर मुद्दा सुलझाने की कोशिश भी की गई, पर सरकार की ये कोशिश बेनतीजा ही रही।
कृषि बिल वापस लिए जाने के बाद इस मुद्दे पर विपक्ष और किसान आंदोलन कर रहे कई नेताओं ने अपनी प्रतिक्रिया दी है। इसके चलते ही किसान नेताओं ने अपनी प्रतिक्रिया तो दी है पर आंदोलन खत्म होने को लेकर अभी कोई बात साफ नहीं कि है।
कृषि नेता ने कही ये बात
कृषि बिल का विरोध कर रहे डॉ. आशीष मित्तल ने कहा कि , “वे आंदोलन की सफलता पर किसानों को बधाई देते हैं। प्रधानमंत्री को देश के किसानों की बात समझने में एक साल से ज्यादा का समय लग गया, लेकिन इसके बाद भी उन्होंने एक अच्छा निर्णय किया है जिसका वे स्वागत करते हैं। किसान नेता ने कहा कि उत्तर प्रदेश में केवल गेहूं-धान की फसलों पर ही न्यूनतम समर्थन मूल्य मिलता है। बाकी फसलों की खरीद पर कोई निर्धारित प्रक्रिया नहीं है और उनकी खरीद भी नहीं होती। इन मुद्दों पर निर्णय के बिना आंदोलन खत्म करने को लेकर कोई निर्णय नहीं लिया जाएगा।