जानें क्या है स्वदेशी ‘INS विक्रांत’, नए नौसेना ध्वज के बारे में भी जानिए
2009 में आईएनएस विक्रांत की कील रखी गई थी यानी युद्धपोत का प्रोग्रेसिव कंस्ट्रक्शन शुरू हुआ।
कोच्चि: भारतीय नौसाना के लिए आज यानी शुक्रवार का दिन खास है। आज पहला स्वेदशी विमान वाहक पोत ‘INS विक्रांत’ नौसेना में शामिल हो गया। प्रधानमंत्री नरेंद्र नरेंद्र मोदी ने केरल के कोच्चि स्थित कोचीन शिपयार्ड लिमिटेड पहुंचकर देश के पहले स्वदेशी युद्धपोत ‘INS विक्रांत’ को भारतीय नौसेना को समर्पित किया। यहां पीएम को गार्ड ऑफ ऑनर भी दिया गया। इस मौके पर रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, गवर्नर आरिफ मोहम्मद खान और मुख्यमंत्री पिनराई विजयन भी मौजूद रहे।
भारतीय नेवी से 31 जनवरी, 1997 को ‘INS विक्रांत’ को रिटायर कर दिया गया था। आज लगभग 25 वर्ष बाद एक बार फिर से INS विक्रांत का पुनर्जन्म हुआ है। सन् 1971 की जंग में INS विक्रांत ने अपने सीहॉक लड़ाकू विमानों से बांग्लादेश के चिटगांव, खुलना और कॉक्स बाजार में दुश्मन के ठिकानों को तबाह कर दिया था। INS विक्रांत देश में निर्मित सबसे बड़ा युद्धपोत है। विक्रांत 20 मिग-29 फाइटर जेट्स और 10 हेलीकॉप्टर ले जाने में सक्षम है। इस 40 हजार टन वजन वाला विमान वाहक जहाज की लागत लगभग 20 हजार करोड़ रुपए है। दुनिया में सिर्फ अमेरिका, ब्रिटेन, रूस और फ्रांस के पास ही 40 हजार और इससे अधिक वजन वाले विमान वाहक जहाज बनाने की क्षमता है। वर्ष 2017 में आईएनएस विराट के रिटायर होने के बाद भारत के पास सिर्फ एक विमान वाहक जहाज ‘आएनएस विक्रमादित्य’ है।
INS विक्रांत को लेकर मुख्य बातें:
2009 में आईएनएस विक्रांत की कील रखी गई थी यानी युद्धपोत का प्रोग्रेसिव कंस्ट्रक्शन शुरू हुआ।
29 अगस्त, 2011 को विक्रांत ड्राय डॉक से बाहर आया यानी इसका ढांचा बनकर तैयार हुआ।
12 अगस्त, 2013 को इसे लॉन्च किया गया और दिसंबर, 2020 में बेसिन ट्रायल्स पूरे हो गए।
4 अगस्त, 2021 को इसे पहली बार समुद्र में उतारा गया और जुलाई 2022 तक इसके सी ट्रायल्स हुए।
2 सितंबर, 2022 यानी आज आईएनएस विक्रांत भारतीय नेवी को समर्पित किया गया।
INS विक्रांत को पूरी तरह ऑपरेशनल होने में जून, 2023 तक का वक्त लगेगा।
नए नौसेना ध्वज के बारे में
भारतीय नौसेना को आज नया नौसेना ध्वज यानी निशान मिल गया है। इसमें पहले लाल क्रॉस का निशान होता था, जिसे हटा दिया गया है। अब नए नौसेना ध्वज में बाईं ओर तिरंगा और दाईं ओर अशोक चक्र का चिह्न है। इसके नीचे लिखा है- शं नो वरुण: यानी वरुण हमारे लिए शुभ हों।