जानें सांसद से मुख्यमंत्री तक कैसा रहा तीरथ सिंह रावत का सफ़र
मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत ने दिया इस्तीफा। 2012 में चौबट्टाखाल सीट से बने विधायक। प्रदेश के पहले शिक्षा मंत्री का मिला था दर्जा।
उत्तराखंड। राज्य की इन 20 सालों की स्थापना में प्रदेश के सीएम के तौर पर कुल दस चेहरे सामने आए। उत्तराखंड में पिछले तीन दिनों से चले आ रहे सियासी उठापटक पर कल रात को विराम लग गया। प्रदेश के मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत ने काल देर रात राज्यपाल बेबीरानी मौर्य को अपना इस्तीफा सौंप दिया।
ख़बरों के अनुसार मुख्यमंत्री रावत पिछले तीन दिनों से राजधानी दिल्ली में डेरा डाले हुए थे। उन्होंने बीते 24 घंटों में भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा से दो बार मुलाकात की थी। जिसके बाद से ही सियासत में गर्मी बढ़ती नज़र आ रही थी। उत्तराखंड की राजनीति में सीएम तक का सफ़र तय करने वाले तीरथ सिंह रावत सबसे कम अवधि वाले सीएम बनें।
बता दें कि, इस्तीफा देने के बाद भी रावत ने हाईकमान के प्रति नाराजगी नहीं दिखाई, तमाम वरिष्ठ नेताओं का धन्यवाद किया। ठीक ऐसे ही सीएम तीरथ सिंह रावत ने अपने राजनीतिक सफ़र में भी धैर्य और शालीनता वह सहनशीलता वाली छवि से अपना नाम बनाया।
राजनीतिक सफ़र रहा काफ़ी कठिन
उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत पौड़ी जिले के कल्जीखाल ब्लॉक के सीरों गाँव के मूल निवासी हैं। रावत का राजनीतिक सफ़र काफ़ी संघर्षपूर्ण रहा है। उनका जन्म 9 अप्रैल 1964 को हुआ। उनके पिता का नाम क़लम सिंह रावत व माता का नाम गौरी देवी है। रावत जो कि अपने छोटे भाइयों में सबसे छोटे थे अपने जीवन के शुरुआती दिनों में ही RSS से जुड़ गए थे। महज़ 20 साल की उम्र में संघ के प्रांत प्रचारक बन गए थे। इतना ही नहीं राम जन्मभूमि आंदोलन के केस में भी रावत 2 माह तक जेल में रहें।
उत्तराखंड के पहले शिक्षा मंत्री का मिला दर्जा
सांसद तीरथ सिंह रावत ने शुरुआत से ही शिक्षा पर काफ़ी ज़ोर दिया है उन्होंने गढ़वाल विश्वविद्यालय से स्नातक किया ऑफिस समाजशास्त्र में एमएमएम करने के बाद पत्रकारिता में डिप्लोमा हासिल की। रावत 1997 में यूपी विधान परिषद के सदस्य निर्वाचित हुए। इसके बाद साल 2000 में उत्तराखंड के अलग राज्य बनने पर उन्हें प्रदेश के पहले शिक्षा मंत्री का दर्जा मिला।
2012 की जीत बनी अहम
तीरथ सिंह रावत को अपनी पहली सफलता साल 2012 में मिली जब उन्होंने चौबट्टाखाल सीट को अपने नाम का विधायकी हासिल की। साल 2012 में ही रावत ने बीजेपी के सारे दिग्गज नेताओं को मात दी थी ऐसे में तीरथ के लिए साल 2012 की जीत काफ़ी अहम है। साल 2012 में रावत ने कांग्रेस छोड़कर बीजेपी ज्वाइन किया। राजनीति में तीरथ की भूमिका हर बार बदली मगर वह टूटे नहीं।
सांसद से कैसे बनें सीएम ?
जिसके बाद तीरथ सिंह रावत वर्ष 2019 लोकसभा चुनाव में पौड़ी गढ़वाल से सांसद चुने गए। जिसके बाद रावत की लोकप्रियता बढ़ती गई। फिर बाद में जब त्रिवेंद्र सिंह रावत को लेकर उत्तराखंड के बीजेपी पार्टी में विरोध के सुर सुनाई पड़ने लगे तब पार्टी हाईकमान ने रावत को राज्य के मुख्यमंत्री की जिम्मेदारी सौंप दी। जिस पर उन्होंने कल देर रात इस्तीफा दे दिया। अब देखने वाली बात यह है कि पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत की पार्टी में अगली भूमिका क्या होगी।
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