यात्रा : वाराणसी में है ये अदभुत शिवलिंग, दो भागों में बंटा है, जाएं तो जरूर करें दर्शन !
वाराणसी आस्था और मंदिरों का शहर है। वाराणसी के मंदिरों में कई सारे रहस्य छिपे हुए हैं। वाराणसी के एक महादेव मंदिर में एक चमत्कारी शिवलिंग है जो कि शिवलिंग की तरह ना होकर दो भागों में बंटा हुआ है। ये मंदिर काशी के केदार खण्ड का गौरी केदारेश्वर मंदिर है। इस मंदिर में पूजा करने की विधि भी सभी मंदिरों से हट कर है। शिवलिंग पर बेलपत्र, दूध गंगाजल के साथ ही भोग में खिचड़ी लगाई जाती है।
इस मंदिर की मान्यता है कि, भगवान शिव स्वयं यहां भोग ग्रहण करने आते हैं। भोले के इस अनोखे स्वरूप के दर्शन के लिए देशभर से श्रद्धालु काशी आते हैं। काशी में बसे महादेव के इस स्वरूप को गौरी केदारेश्वर महादेव के नाम से जाता है। काशी के केदारेश्वर महादेव 15 कला में विराजमान है। केदारेश्वर महादेव के दर्शन से बाबा विश्वनाथ के दर्शन का फल मिलता है। ऐसे में अगर आप कभी बनारस जाते हैं तो केदारेश्वर महादेव के दर्शन जरूर करें।
ये कथा है प्रचलित:-
मंदिर के पुजारी धूर्लीपार्ली नारायण शास्त्री ने बताया कि काशी के राजा मानदाता भगवान शिव के अनन्य भक्त थे। प्रतिवर्ष वो हिमालय के पर्वत पर बसे केदारनाथ के दर्शन को जाते थे और प्रतिदिन भगवान शंकर को खिचड़ी का भोग लगाते थे। इसके बाद जरूरतमंदों में इस खिचड़ी का दान करते थें। बिना दान दिए वो कभी भोजन नहीं करते थे।
एक बार जब वो बीमार पड़े तो दर्शन को नहीं जा सके उनके दरवाजे पर भी दान के लिए कोई नहीं पहुंचा तो वो भी भूखे रह गए। खिचड़ी लेकर वो कई दिनों तक दान का इंतजार करते रहे इस बीच एक दिन वो खिचड़ी लेकर सो गए तो भगवान शिव उनकी श्रद्धा भाव से प्रसन्न होकर ने उन्हें सपने में खिचड़ी से प्रकट होकर दर्शन दिया। नींद से जब उनकी आंखें खुली तो सपना सच दिखा खिचड़ी शिवलिंग का स्वरूप बन चुका था। जो कालांतर में गौरी केदारेश्वर के नाम से जाना जाता है।