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8 किलोमीटर पैदल चलती थीं भारतीय क्रिकेटर अजिंक्य रहाणे की मां, ऐसी है उनके क्रिकेटर बनने की कहानी 

भारतीय क्रकेट टीम में ऐसे खिलाड़ियों की कोई कमी नहीं है जिन्होंने कड़े संघर्ष के बाद अपना मुकाम हासिल किया। टीम इंडिया के बल्लेबाज अजिंक्य रहाणे के बारे में तो सब जानते हैं, लेकिन उनके संघर्ष के बारे में किसी को पता नहीं था। अब खुद रहाणे ने अपनी जिंदगी के मुश्किल दिनों के बारे में बात की और बताया कि उन्होंने किस तरह संघर्ष किया था। अजिंक्य रहाणे का जन्म महाराष्ट्र के अहमदनगर जिले के छोटे से गाँव अशवी केडी में हुआ था। पर उनका परिवार चंदनपुरी गाँव, तहसील संगमनेर के रहने वाले थे, जो बेहद ही गरीब था। अजिंक्य का एक छोटा भाई शशांक और एक छोटी बहन अपूर्वा है।

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अजिंक्य के पिता सचिन तेंदुलकर के बड़े फैन थे और उन्होंने देखा अजिंक्य स्कूल से आने बाद अपना टाइम यूं ही बर्बाद कर देता है, इसलिए उन्होंने 7 वर्षीय अजिंक्य को क्रिकेट सीखने के लिए प्रेरित किया। उन्होंने उसे डोमविबली के एक सस्ते से कोचिंग सेंटर में भर्ती करा दिया, क्योंकि वे अच्छे कोच की फीस चुका नहीं सकते थे। पिता के बाद उनकी माँ ने भी अपने बड़े बेटे अजिंक्य का पूरा ख्याल रखती थी। उनके पास इतने पैसे नहीं थे कि वे रोज-रोज ऑटो से कोचिंग सेंटर जाए।

वे खुद अपने छोटे बेटे शशांक को गोद में लेकर और अजिंक्य का किट बैग साथ लेकर 2 किमी. पैदल चलकर अजिंक्य को कोचिंग सेंटर छोड़ जाती और वापस ऐसे ही रोजाना घर ले जाती थी।

किराए के लिए नहीं होते थे पैसे 

रहाणे ने आगे बताया कि हम पैदल चलते-चलते थक जाते थे। वह अपनी मां से रिक्‍शे से चलने के लिए कहते थे, मगर उनकी मां कोई जवाब नहीं देती थी। क्योंकि हमारे पास किराए के लिए पैसे नहीं होते थे। इसीलिए हम एक हफ्ते में सिर्फ एक ही बार रिक्‍शे में बैठकर जाते थे। रहाणे ने बताया कि वो अपने माता-पिता की वजह से ही आज यहां पर हैं और उनके लिए आज भी वही पुराने रहाणे हैं।

ट्रेन में जाने लगे थे अकेले

अपने ट्रेन के सफर के बारे में बताया कि जब वह सात साल के थे तो पहले दिन उन्हें उनके पिता का साथ मिला, जिन्होंने डोंबिवली से सीएसटी तक उन्हें छोड़ा और फिर काम पर गए। मगर अगले दिन उन्होंने रहाणे को कहा कि अब उन्हें अकेले ही सफर करना होगा। इसके बाद उनके पिता डोंबिवली स्टेशन छोड़ देते थे, जहां से रहाणे ट्रेन लेते थे, मगर बाद में रहाणे को मालूम चला कि उनके पिता दूसरे डब्बे में उनके पीछे ही होते थे। वह सीएसटी तक उनके पीछे यह देखने के लिए जाते थे कि उनका बेटा अकेला सफर कर सकता है या नहीं।

रहाणे जिंदगी में और क्रिकेट के मैदान पर मिली अपनी सफलता के पीछे वाइफ राधिका धोपावकर का बड़ा हाथ मानते हैं। समय चाहे जैसे हो, वाइफ राधिका भी रहाणे का हाथ कभी नहीं छोड़तीं हैं। रहाणे और राधिका की लव स्टोरी किसी बालीवुड फिल्म से कम नहीं है। अजिंक्य रहाणे और राधिका एक ही मोहल्ले में रहा करते थे और वहीं से इस लव स्टोरी की शुरुआत भी हुई। 

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रहाणे और राधिका बचपन में एक दूसरे के अच्छे दोस्त थे और अक्सर दोनों की मुलाकत होती रहती थी। दोनों एक ही स्कूल में पढ़ा करते थे।  धीरे-धीरे दोनों एक दूसरे को पसंद करने लगे और उनका प्यार परवान चढ़ने लगा। रहाणे काफी शर्मिले नेचर के हैं और राधिका भी काफी शांत स्वाभव की हैं। अजिंक्य रहाणे और राधिका दोनों एक दूसरे को दिलों जान से चाहने लगे और उनकी छुप-छुप कर चल रही इस मोहब्बत का पता दोनों के घर वालों को लगा। रहाणे और राधिका के घरवालों ने दोनों से इस पर की और दोनों को हमेशा के लिए एकसाथ कर देना का फैसला किया। 26 सितंबर 2014 को राधिका और रहाणे ने एक दूसरे के साथ सात फेरे लिए और एक दूसरे को जिंदगीभर के लिए अपना हमसफर बना लिया। 

यह भी कहा जाता है कि राधिका के साथ सात फेरे लेने के बाद से अजिंक्य रहाणे के करियर का ग्राफ भी ऊपर की तरफ गया और उन्होंने काफी कामयाबी हासिल की। रहाणे और राधिका के बीच आज भी वहीं प्यार कायम हैं और दोनों की एक बेटी भी है। क्रिकेट की फील्ड से निकलने के बाद रहाणे अपना पूरा समय वाइफ राधिका और अपनी बेटी को ही देते हैं। इसके साथ ही, टीम इंडिया के कार्यवाहक कप्तान पत्नी का जन्मदिन मनाना भी बिल्कुल भी नहीं भूलते हैं।

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