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ऋषभ पंत कैसे बने उभरता हुआ सितारा, ऐसे कमाया अपन नाम   

ऋषभ पंत भारत के होनहार और बढ़ते युवा क्रिकेटर हैं. मूल रूप से ये हरिद्वार उत्तराखंड से सम्बन्ध रखते है लेकिन ये दिल्ली के लिए खेलते हैं. ये सिर्फ 19 साल के है, और इन्होंने क्रिकेट के सभी रूपों में बेहतरीन प्रदर्शन किया है. ये विकेटकीपर बल्लेबाज हैं. इन्होंने सन 2015 – 16 की रणजी ट्रॉफी में 22 अक्टूबर सन 2015 को अपने कैरियर की शुरुआत की, लेकिन वे प्रमुख तब हुए जब वे 2016 अंडर – 19 क्रिकेट विश्व कप के लिये भारत की टीम में शामिल होने के लिए नामित किये गए, और उन्होंने प्रसिद्धी तब हासिल की जब टूर्नामेंट के दौरान 18 बॉल्स में अर्द्धशतक पूरा किया था. ऐसे ही इन्होंने अपनी बेहतरीन बल्लेबाजी से दर्शकों के दिलों में जगह बना ली है.

ऋषभ पंत खुद का नाम बनाने के लिए किशोरावस्था में एक शहर से दूसरे शहर जाते रहे. मूल रूप से वे उत्तराखंड में पैदा हुए, इन्होंने यहाँ अपने शुरूआती स्कूल की पढ़ाई पूरी की. इसके बाद इनके पिता राजेन्द्र पंत सन 2005 में दिल्ली आ गये, उनके साथ ऋषभ भी दिल्ली आ गये. यहाँ उन्होंने अपनी बाकी की स्कूल की पढ़ाई पूरी की. यह उनका क्रिकेट ही था, जिस वजह से इसके पिता को मजबूर होकर दिल्ली में स्थानांतरित होना पड़ा. दरअसल, जब ऋषभ राजस्थान क्रिकेट दौरे के लिए गये, तब उन्होंने भारत के सबसे महान कोचों में से एक “मिस्टर तारक सिन्हा” के बारे में सुना. ऋषभ ने सिर्फ अपने कैरियर की खातिर ही अपने परिवार को दिल्ली स्थानांतरित करने के लिए आश्वस्त किया.

18 साल की उम्र में ऋषभ ने अपने रणजी खेल की शुरुआत की. 2015 में रणजी के दुसरे ही मुकाबले में अर्धशतक बना डाला. इसी साल 2016 के अंडर-19 वर्ल्डकप की कमान ऋषभ के हाथों में देने की घोषणा हुई. ये विश्वकप बांग्लादेश में होना था वहां ऋषभ पंत ने 267 रन बनाकर भारत के दुसरे सबसे ज्यादा रन बनाने वाले खिलाड़ी बने. चुकी Rishabh Pant काफी तेज और विस्फोटक बल्लेबाज़ थे और आईपीएल मैच में ऐसे ही खिलाड़ियों की जरुरत होती है तो 2016 ipl में इन्हें दिल्ली की टीम ने 10 लाख रुपये के आधार मूल्य से शुरू हुए इस खिलाड़ी को 1.9 करोड़ में खरीद लिया. जिस दिन ऋषभ पंत को आईपीएल के लिए ख़रीदा गया था उसी दिन ऋषभ ने अंडर-19 विश्वकप में शतक जड़ा था.

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इनके पिता को पहले से ही अपने बेटे ऋषभ की क्रिकेट की क्षमता के बारे में पता था, और इसलिए वे दिल्ली आने को तैयार हो गए. ऋषभ जब दिल्ली आये तो उन्होंने मिस्टर तारक सिन्हा को उनका कोच बनने के लिए आश्वस्त किया. तारक ने उनके विकेटकीपिंग की क्षमता को देखा, और वे उससे बहुत प्रभावित हुए. इसलिए वे उसे विकेटकीपर के साथ – साथ एक विस्फोटक बल्लेबाज में भी बदलना चाहते थे. असल में, आधुनिक काल में क्रिकेट की दुनिया का समय बदल गया है और वर्तमान में अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर चयन करने के लिए केवल विकेटकीपर उसे माना जाता है जोकि बल्लेबाजी भी कर सकता है. तारक ने ऋषभ को प्रशिक्षित करने के लिए एडम गिलक्रिस्ट के सैकड़ों वीडियों दिखाए.

ऋषभ पंत गिलक्रिस्ट से बहुत प्रेरित हुए, जिससे उन्होंने गिलक्रिस्ट की तरह ही खेलना शुरू किया. धीरे – धीरे वे उन्हीं की तरह लेफ्ट – हैंडेड विकेटकीपर बल्लेबाजी करने लगे, इससे वे गिलक्रिस्ट की तरह ही विकेटकीपर बल्लेबाज बन गये. उनके कोच तारक सिन्हा ने ऋषभ को एक विस्फोटक विकेटकीपर बल्लेबाज बनाने के लिए सावधानी से और अच्छी तरह प्रशिक्षित किया. ऋषभ ने कई क्लब के लिए खेला और इसके बाद वे लाइम लाइट में आकर्षित हो गए, और इसकी वजह थी इनके विस्फोटक बल्लेबाजी का तरीका. कुछ समय बाद उन्हें दिल्ली रणजी ट्रॉफी के लिए चयनित किया गया और यहाँ उन्होंने अपनी क्रिकेट की क्षमता दिखाई. राहुल द्रविण उन्हें अनदेखा न कर सके और विद्रोही बिहारी भूमिहार ईशान किशन द्वारा अंडर – 19 भारतीय विश्वकप में टीम के नेतृत्व के लिए ऋषभ की सिफ़ारिश की. इस तरह इनका शुरूआती कैरियर रहा. 

ऋषभ पंत गिलक्रिस्ट से बहुत प्रेरित हुए, जिससे उन्होंने गिलक्रिस्ट की तरह ही खेलना शुरू किया. धीरे – धीरे वे उन्हीं की तरह लेफ्ट – हैंडेड विकेटकीपर बल्लेबाजी करने लगे, इससे वे गिलक्रिस्ट की तरह ही विकेटकीपर बल्लेबाज बन गये. उनके कोच तारक सिन्हा ने ऋषभ को एक विस्फोटक विकेटकीपर बल्लेबाज बनाने के लिए सावधानी से और अच्छी तरह प्रशिक्षित किया. ऋषभ ने कई क्लब के लिए खेला और इसके बाद वे लाइम लाइट में आकर्षित हो गए, और इसकी वजह थी इनके विस्फोटक बल्लेबाजी का तरीका. कुछ समय बाद उन्हें दिल्ली रणजी ट्रॉफी के लिए चयनित किया गया और यहाँ उन्होंने अपनी क्रिकेट की क्षमता दिखाई. राहुल द्रविण उन्हें अनदेखा न कर सके और विद्रोही बिहारी भूमिहार ईशान किशन द्वारा अंडर – 19 भारतीय विश्वकप में टीम के नेतृत्व के लिए ऋषभ की सिफ़ारिश की. इस तरह इनका शुरूआती कैरियर रहा. 

एक बार ऋषभ पंत ने राजस्थान के लिए क्रिकेट दौरा किया तब उन्होंने भारत के सर्वश्रेष्ठ कोचों में से एक कोच तारक मेहता का नाम सुना जो दिल्ली में खिलाड़ियों को क्रिकेट सिखाया करते थे. ऋषभ पंत ने अपने पिताजी से इस बारे में बात की और अपने पापा को दिल्ली आने के लिए मना लिया.

ऋषभ पंत के पिताजी ने अपने बेटे के फ्यूचर के लिए समझौता किया और अपने पुरे परिवार के साथ दिल्ली शिफ्ट हो गए. यहाँ ऋषभ ने अपनी आगे की पढ़ाई पूरी की और कोच तारक मेहता की छत्रछाया में अपना क्रिकेट शुरू किया.

ऋषभ पंत का शुरूआती करियर

ऋषभ पंत ने अपने कोच की सुनी और गिलक्रिस्ट से प्रभावित होते गये. उन्होंने उन्ही की तरह बल्लेबाज़ी करना शुरू किया. यानि वो भी उल्टे हाथ के धाकड़ बल्लेबाज़ बन गये. ऋषभने शुरुआत में कई क्लब के लिए मैच खेला और विस्फोटक बल्लेबाज़ी की जिस वजह से वे मशहूर हो गये. इसी बल्लेबाज़ी की वजह उनका सिलेक्शन दिल्ली की टीम में रणजी ट्रॉफी के लिए हुआ जहाँ उन्होंने बेहतरीन प्रदर्शन किया. उनके इस खेल से राहुल द्रविड़ काफी प्रभावित हुए उन्होंने ऋषभ की सिफारिश अंडर-19 विश्वकप वाली इंडियन टीम के लिए कर दी.

गुरुद्वारे में रहकर गुजारे दिन : 

रुड़की में रहने वाला ऋषभका परिवार उन्हें दिल्ली क्रिकेट की टॉप एकेडमी में भर्ती कराना चाहता था। ऋषभ के कोच देवेंद्र शर्मा के मुताबिक, 6-7 साल पहले एक कैंप में पंत के पिता ने दोनों को मिलाया था। पंत को दिल्ली में कोचिंग लेनी थी, इसलिए वह अपनी मां के साथ राजधानी आ गए। मगर उनके पास रहने की कोई जगह नहीं थी और ना ही खर्च करने को ज्यादा पैसे। इसलिए मोती बाग गुरुद्वारा में मां-बेटे रहते थे। बेटा जहां पिता के सपनों को पूरा करने में जी-जान से जुटा था, वहीं मां गुरुद्वारे में सेवा किया करती थी।

48 गेंदों में शतक जड़कर मचाया तहलका : 

उसी दौर में पंत ने एक अंडर-12 टूर्नामेंट में तीन शानदार शतक जड़े और प्लेयर ऑफ द टूर्नामेंट का खिताब हासिल किया। इसके बाद जल्द ही उन्हें दिल्ली कैंट के एयरफोर्स स्कूल में दाखिला मिल गया। फिर ऋषभ ने पीछे मुड़कर नहीं देखा। अंडर-19 वल्र्ड कप 2016 में नेपाल के खिलाफ 18 गेंदों में हाफ सेंचुरी जड़कर नया रिकॉर्ड बना दिया था। इसी टूर्नामेंट में पंत ने नामीबिया के खिलाफ शतक जड़कर टीम इंडिया को सेमीफाइनल में पहुंचने में मदद की। उसी दिन इंडियन प्रीमियर लीग में पंत को दिल्ली डेयरडेविल्स ने 1.9 करोड़ रुपए में खरीदा। बेहद आक्रामक अंदाज में बल्लेबाजी करने वाले ऋषभ 2016-17 क्रिकेट सत्र में झारखंड के खिलाफ 48 गेंदों में शतक जड़कर तहलका मचा दिया था। उन्होंने रणजी ट्रॉफी में महाराष्ट्र के खिलाफ तिहरा शतक भी जड़ा था। पंत ने 10 प्रथम श्रेणी मैचों की 16 पारियों में 1080 रन बनाए, इसमें 4 शतक और 3 अद्र्धशतक शामिल हैं।

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