दिगेन्द्र कुमार ने दिलाई थी करगिल की पहली जीत, तोलोलिंग पर फहराया था तिरंगा
नायक दिगेन्द्र का सामना पाकिस्तानी सेना के मेजर अनवर खान से हुआ। नायक दिगेन्द्र कुमार ने उसे पकड़कर अपने डीगल से उसकी गर्दन काट डाली।
भारत मां के सपूतों ने अपने प्राणों का बलिदान देकर देश की रक्षा की है। करगिल में कई जवानों ने प्राणों की आहुति दी है। इन वीरों के बलिदान को याद करने के लिए हर साल करगिल विजय दिवस मनाया जाता है। 26 जुलाई 2021 को 22 साल पूरे हो जाएंगें। इस जंग में कई सपूतों ने दुश्मनों के परखच्चे उड़ा दिए, लेकिन नायक दिगेन्द्र कुमार के हौसले और हिम्मत से आर्मी चीफ जनरल वीपी मलिक को भी आश्चर्यचकित हो गए थे।
भारतीय सेना के तोलोलिंग पर कब्जा करने के तीन प्रयास असफल हो गए। उसके बाद द्रास में 2 जून 1999 को सैनिक दरबार लगाया गया था। जब जनरल मलिक ने इस सेना की टुकड़ी से तोलोलिंग की पहाड़ी को आजाद कराने की योजना के बारे में पूछा तो नायक दिगेन्द्र ने कहा था कि उनके पास योजना है, जिसके माध्यम से हमारी जीत सुनिश्चित है।
करगिल की लड़ाई के दौरान पहली जीत नाइक दिगेन्द्र कुमार ने दिलवाई थी। 2 राजपूताना रायफल्स को करगिल जाकर पाकिस्तानी घुसपैठिए से तोलोलिंग की पहाड़ी पर अपना कब्जा जमाने का आदेश दिया गया। 2 राजपूताना रायफल्स का एक दल तोलोलिंग की तरफ से बढ़ रहा था। इस दल की अगुवाई मेजर विवेक गुप्ता कर रहे थे। इस दल में दिगेन्द्र कुमार भी थे। करीब 14 घंटे बाद यह दल तोलोलिंग के पास पहुंचा। वहां पर पाकिस्तानी घुसपैठिए ने पहले से 11 बंकर बना रखे थे।
दल के आगे बढ़ते ही पाकिस्तानी सैनिकों फायरिंग शुरू कर दी। खराब मौसम की वजह से कुछ भी साफ नहीं दिख रहा था। नायक दिगेन्द्र आगे बढ़े और दुश्मन की फायर करती मशीन गन की बैरल उनके हाथ आई। इसके बाद उन्होनें एक ग्रेनेड निकालकर बंकर में फेंका, जिससे बंकर पूरी तरह तबाह हो गया। इस लड़ाई में मेजर विवेक गुप्ता समेत सारे जवान शहीद हो गए। नायक दिगेन्द्र को भी पांच गोलियां लगी। फिर भी वह आगे बढ़ते रहे।
दिगेन्द्र कुमार का साहस
नायक दिगेन्द्र का सामना पाकिस्तानी सेना के मेजर अनवर खान से हुआ। नायक दिगेन्द्र कुमार ने उसे पकड़कर अपने डीगल से उसकी गर्दन काट डाली। 13 जून 1999 को नायक दिगेन्द्र ने तोलोलिंग की पहाड़ी पर सुबह 4 बजे भारतीय झंडा फहराया। यह भारत के लिए यह पहली जीत थी। असीम साहस और वीरता के लिए महावीर चक्र से नवाजा गया था।