दिल्ली पुलिस ने उत्तराखंड में पकड़ी नकली रेमडेसिविर बनाने वाली फैक्ट्री
कोरोना की दूसरी लहर के बीच ऑक्सीजन के बाद जिस चीज़ के लिए लोग सबसे ज्यादा मदद मांग रहे हैं वो है रेमडेसिविर. गंभीर रूप से संक्रमित मरीजों में वायरस के असर को कम करने के लिए ये एंटी वायरल इंजेक्शन लगाया जाता है. भारी मांग के बीच इस दवाई की खूब कालाबाज़ारी हो रही है, 25-50 हज़ार में भी लोग एक-एक डोज़ खरीद रहे हैं.
अब दिल्ली पुलिस ने नकली रेमडेसिविर की फैक्ट्री पकड़ी है.पैसों के लिए जान का व्यापार कर रहे हैं। नकली जीवन रक्षक दवाइयों को मरीजों तक पहुंचा रहे हैं। इसी क्रम में आज शुक्रवार को दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच ने उत्तराखंड में नकली रेमडेसिविर बनाने वाले गिरोह का भंडाफोड़ करते हुए गिरोह के सरगना समेत सात लोगों को गिरफ्तार किया है।
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यह गिरोह उत्तराखंड के हरिद्वार, रुड़की और कोटद्वार में अवैध फैक्टरियोें में नकली रेमडेसिविर का उत्पादन करता है। यह लोग एक इंजेक्शन को 25 हजार रुपये में बेचते थे। आरोपियों के पास से रेमडेसिविर के 196 नकली इंजेक्शन बरामद किए हैं। वहीं तीन हजार खाली वायल्स भी पुलिस को मिली है।
2000 लोगों को बेच दी फेक रेमडेसिविर
आज तक की रिपोर्ट के मुताबिक, दिल्ली पुलिस को लगातार नकली इंजेक्शन की खबरें मिल रही थी. इसकी जांच के लिए एक स्पेशल टीम बनाई गई. इस टीम ने उत्तराखंड के कोटद्वार में एक दवा फैक्ट्री पर छापा मारा. यहां 196 नकली रेमडेसिविर इंजेक्शन बरामद किए गए. पुलिस ने आजतक को बताया है कि फैक्ट्री से इंजेक्शन पैक करने के लिए काम आने वाले 3000 वायल्स भी बरामद किए हैं. पूछताछ में आरोपियों ने खुलासा किया कि वो अब तक दो हजार से ज्यादा लोगों को नकली रेमडेसिविर इंजेक्शन बेच चुके हैं. पुलिस का कहना है कि आरोपियों से ये जानकारी निकालने की कोशिश हो रही है कि उनके साथ और कौन शामिल है और अभी तक इन्होंने ये नकली इंजेक्शन कहां-कहां बेचे हैं.