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Delhi : डीयू ने B.A के पाठ्यक्रम से लेखिका महाश्वेता देवी की कहानी को हटाने के पीछे दी सफाई
New Delhi : लेखिका महाश्वेता देवी और दो अन्य दलित लेखकों की लघुकथाओं को दिल्ली विश्वविद्यालय के बीए आनर्स (अंग्रेजी) के पांचवें सेमेस्टर के पाठ्यक्रम से हटाने पर हुए विवाद पर विश्वविद्यालय ने स्पष्टीकरण दिया है। डीयू का कहा कि जो लघुकथाएं पाठ्यक्रम से हटाई गई हैं, उनकी कथाओं की विषय वस्तु आपत्तिजनक थी।
दिल्ली विश्वविद्यालय (Delhi University) की ओवरसाइट समिति ने इसे हटाने की सिफारिश इसी आधार पर दी थी। 24 अगस्त को डीयू की हुई अकादमिक परिषद की बैठक में समिति ने कुछ सिफारिशें पेश की थीं। परिषद के 16 सदस्यों ने इस पर लिखित रूप से असहमति दिखाई थी। डीयू के कुलसचिव डा. विकास गुप्ता ने बताया कि ओवरसाइट समिति ने आपत्तिजनक विषय वस्तु को हटाया है। इसे नहीं पढ़ाया जा सकता था। यदि 1999 से कोई आपत्तिजनक सामग्री को पढ़ाया जा रहा था तो आवश्यक नहीं कि आगे भी यह चलता रहे। डीयू प्रशासन ने कहा है कि इस विचार को विश्वविद्यालय स्वीकार करता है कि ऐसी साहित्यिक सामग्री पाठ्यक्रम का भाग बनने वाली होनी चाहिए जो किसी की भावनाओं को आहत न करें। हमारे समाज की सही तस्वीर को पेश करे।
महाश्वेता देवी की लघुकथा द्रौपदी और दो दलित लेखकों बामा और सुखथरिणी की लघुकथा को अंग्रेजी पाठ्यक्रम से डीयू की अकादमिक परिषद में हटाए जाने के खिलाफ विवाद खड़ा हो गया है। लेखिका रमाबाई को अब कोर्स में शामिल करने का निर्णय लिया गया है। अकादमिक परिषद की मंगलवार रात को हुई बैठक में 16 सदस्यों ने ओवरसाइट समिति की इस सिफारिश के विरोध में असहमति पत्र दिया था। परिषद के सदस्य मिथुराज धूसिया ने बताया था कि संवैधानिक निकायों को दरकिनार करते हुए डीयू के मनमाने ढंग से पाठ्यक्रम में परिवर्तन किए गए हैं, जबकि संबंधित विभाग से समिति में कोई विशेषज्ञ नहीं था।
डूटा के कोषाध्यक्ष आभा देव हबीब का डीयू के स्पष्टीकरण पर कहना है कि यह बड़े शर्म की बात है कि पाठ्यक्रमों पर ओवरसाइट समिति सेंसरशिप लगाने का जरिया बन गई है। डीयू ने भावनाओं को ठेस पहुंचाने के नाम पर अकादमिक स्वतंत्रता की जवाबदेही को त्याग दिया है।
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