
UP: प्रदेश में साइबर सेल हो रही हाईटेक, थानों में होगी साइबर डेस्क की स्थापना
साइबर क्राइम मुख्यालय पर स्थापित होगा उच्च कोटि का सेंटर ऑफ एक्सेलेंस
# हर थाने में हुई साइबर हेल्प डेस्क की स्थापना
# लखनऊ में डिजिटल फॉरेंसिक लैब और हर जोन स्तर पर बनेंगे साइबर फारेंसिक लैब
# 18 परिक्षेत्रीय साइबर थानों के अपने होंगे प्रशासनिक भवन और उपलब्ध कराए जाएंगे अन्य संशाधन
लखनऊ: उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के निर्देश पर गृह विभाग ने साइबर अपराध पर लगाम लगाने के लिए बड़ी कार्य योजना बनाई है। सभी थानों में साइबर हेल्प डेस्क की स्थापना की गई है। इतना ही नहीं, आने वाले समय में न सिर्फ साइबर अपराधियों की गिरफ्तारी आसान होगी बल्कि लंबित विवेचनाओं को तेजी से पूराकर सजा भी कराई जाएगी। लखनऊ में डिजिटल फॉरेंसिक लैब और हर जोन स्तर पर साइबर फारेंसिक लैब की स्थापना का भी प्रस्ताव है।
सीएम योगी ने पिछले कार्यकाल में बढ़ते साइबर अपराधों को देखते हुए गृह विभाग को प्रभावी कार्रवाई करने के निर्देश दिए थे। पिछले पांच वर्षों में 18 परिक्षेत्रीय साइबर क्राइम थानों की स्थापना की गई और इन थानों में 414 पदों का सृजन किया गया है। जबकि प्रदेश में पांच वर्ष पहले लखनऊ और गौतमबुद्धनगर में मात्र दो साइबर क्राइम थाने थे।
586 आरोपियों की गिरफ्तारी
योगी सरकार में हर परिक्षेत्रीय साइबर क्राइम थानों में महिला साइबर क्राइम सेल की स्थापना की गई है। 18 परिक्षेत्रीय साइबर क्राइम थानों में पिछले पांच वर्षों में 863 मुकदमे दर्ज किए गए हैं, जिनमें 586 आरोपियों की गिरफ्तारी की गई है और आरोपियों से चार करोड़ से अधिक धनराशि बरामद की गई है। इसके अलावा करीब सात अरब की धनराशि को बैंक खातों में फ्रीज कराया गया है और करीब 11 करोड़ रुपए पीड़ितों के खातों में वापस कराए गए हैं।
साइबर क्राइम मुख्यालय पर स्थापित होगा उच्च कोटि का सेंटर ऑफ एक्सेलेंस
साइबर क्राइम की भविष्य की चुनौतियों को देखते हुए सभी प्रकार के संसाधनों से लैस किया जा रहा है। लंबित अभियोगों के तेजी से गुणवत्तापूर्ण निस्तारण के लिए कर्मचारियों साइबर क्राइम मुख्यालय पर ट्रेनिंग दी जा रही है। अगले वर्षों में 18 परिक्षेत्रीय साइबर थानों को अपने प्रशासनिक भवनों में संचालित किया जाएगा। साथ ही अन्य जरूरी संशाधन उपलब्ध कराए जाएंगे। साइबर क्राइम मुख्यालय पर शोध, प्रशिक्षण और विवेचना में तकनीकी सहायता के लिए साइबर विशेषज्ञ से सहायता ली जाएगी और मुख्यालय पर उच्च कोटि का सेंटर ऑफ एक्सेलेंस विकसित किया जाएगा। इसके अलावा हर जिले में सर्टिफाइड क्राइम प्रिवेंशन स्पेशलिस्ट (सीसीपीएस) की स्थापना की जाएगी।