
लगातार बारिश से झारखंड और बगांल मे मंडरा रहा खतरा
झारखंड और बंगाल के कई हिस्सों में पिछले 3 दिनों से लगातार हो रही बारिश अब देश में कोयला संकट के और बढ़ने की आशंका और तेज कर सकती है। भारी बारिश से कोयला खदानों में पानी भर गया है और कोयले का उत्पादन 50 प्रतिशत तक कम हो गया है। इसने एक बार फिर भारत में बिजली संकट को बढ़ा दिया है और कोयले के शिपमेंट को भी 30 से 40 प्रतिशत तक प्रभावित किया है। कोयला कंपनियों के एक आधिकारिक बयान के अनुसार, बारिश ने झारखंड और बंगाल में कोयला खदानों से कोयला निकालना मुश्किल बना दिया है।
एचटी की रिपोर्ट के मुताबिक बारिश से बीसीसीएल, सीसीएल और ईसीएल की कोयला खदानें सबसे ज्यादा प्रभावित हुई हैं। बीसीसीएल और सीसीएल खदानों में बारिश की स्थिति खराब है और इससे उत्पादन पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा है। पिछले 3 दिनों में इन खदानों ने नगण्य मात्रा में कोयले का उत्पादन किया है। झारखंड से देश के लगभग 11 राज्यों में कोयले की आपूर्ति की जाती है। इनमें पंजाब, हरियाणा, बंगाल, यूपी, बिहार जैसे प्रमुख राज्य हैं, जिनमें राजधानी दिल्ली में बिजली परियोजनाएं शामिल हैं। बारिश से पहले दुर्गा पूजा के दौरान कोयले का उत्पादन और शिपमेंट भी प्रभावित हुआ था। नौवें और दसवें दिन कई इलाकों में यातायात बंद रहने से कोयला राज्यों तक नहीं पहुंच सका।
कोल इंडिया सह बीसीसीएल के वित्त निदेशक समीरन दत्ता ने स्वीकार किया कि बारिश ने कुछ कोयला कंपनियों को प्रभावित किया है। झारखंड और बंगाल में हालात बदतर हैं लेकिन घबराने की जरूरत नहीं है। यह सिर्फ कोयले की कमी नहीं बल्कि संकट की स्थिति है। उन्होंने आश्वासन दिया कि बारिश बंद होने पर एक सप्ताह में बिजली परियोजनाओं के कोयले के भंडार में सुधार होगा। कोल इंडिया के पास अभी भी 4 करोड़ टन कोयला भंडार है।
दूसरी ओर, ईसीएल के निदेशक प्रौद्योगिकी बी बीरा रेड्डी ने कहा कि सोमवार की बारिश का ईसीएल के कोयला उत्पादन और शिपमेंट पर महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ा है। झारखंड और ईसीएल के बंगाल की सभी खदानें प्रभावित हुई हैं। 50 फीसदी उत्पादन प्रभावित होने का अनुमान है।
झारखंड-बंगाल में बिजली संकट
झारखंड और बंगाल के कई हिस्सों में बिजली गुल देखने को मिल रही है। हालांकि लगातार बारिश के कारण राज्य में बिजली की मांग घटकर 1290 मेगावाट रह गई है, जो सामान्य दिन में 1700 मेगावाट थी। एनटीपीसी और डीवीसी की उत्पादन इकाइयों में उत्पादन प्रभावित होने से राज्य को कम बिजली मिल रही है। बंगाल के कई ग्रामीण इलाके भी बिजली संकट से जूझ रहे हैं।