भयावह होता जा रहा कोरोना, यूपी के ग्रामीण इलाकों में पहुंचा संक्रमण
कोरोना वायरस अब उत्तर प्रदेश के ग्रामीण इलाकों में पहुंच गया है। 10 दिन में पूरे प्रदेश में मौत की दर में करीब 17.77 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है। जबकि छोटे जिलों में जहां मौत की दर काफी कम थी, वहां यह बढ़ोतरी अब 10 फीसदी है। अब तक मौत के ज्यादातर मामले शहरों से आ रहे थे, लेकिन छोटे जिलों व ग्रामीण इलाके में भी मौत का ग्राफ बढ़ने लगा है।
मार्च तक कोरोना वायरस का असर ज्यादातर शहरों तक सीमित था। ग्रामीण इलाकों में कभी-कभार संक्रमित मिल रहे थे। पर, स्वास्थ्य विभाग के मुताबिक 31 मार्च को सिर्फ 2 जिलों में 100 से अधिक मरीज थे। 10 अप्रैल को 60 जिलों में 100 से कम मरीज थे। 15 अप्रैल को 26 जिलों में, 20 अप्रैल को 10 जिलों में और 25 अप्रैल को सिर्फ 6 जिले में 100 से कम मरीज हैं। शेष सभी जिलों में संख्या सौ से अधिक है।
मरीजों की संख्या बढ़ी तो मौत का ग्राफ भी बढ़ने लगा है। 15 अप्रैल तक पूरे प्रदेश में 9,480 लोगों की मौत हुई थी, जो 25 अप्रैल को 11,165 पहुंच गई।
इस तरह छोटे जिलों में कोरोना से 10.26 फीसदी बढ़ी मृत्यु दर
ग्रामीण पृष्ठभूमि वाले जिलों में मृत्यु दर में 15 से 25 अप्रैल के बीच 10.26 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है। बांदा, झांसी, जौनपुर, सोनभद्र, बलिया, बस्ती, हाथरस, पीलीभीत, सहारनपुर, बिजनौर में 15 अप्रैल तक कुल मौत का आंकड़ा 935 था, जो 25 अप्रैल को बढ़कर 1,031 पर पहुंच गया। जबकि इन सभी जिलों में 10 अप्रैल से पहले मरने वालों की संख्या काफी कम थी। अब स्थिति इन जिलों में हर दिन किसी न किसी की मौत हो रही है।
लापरवाही से बढ़ेंगे मौत के आंकड़े
लोहिया संस्थान के विभागाध्यक्ष डॉ. भुवन चंद्र तिवारी का कहना है कि शहरों में घनी आबादी की वजह से कोरोना संक्रमण का प्रसार तेज था, लेकिन यह अब हर जगह पहुंच गया है। जब गांव में मरीजों की संख्या बढ़ी है तो मौत के आंकड़े भी बढ़ेंगे। इससे बचने का एक ही तरीका है कि हर व्यक्ति मास्क का निरंतर प्रयोग करे और लक्षण दिखते ही जांच व इलाज कराए। शुरुआती दौर में इलाज मिलने से मौत की आशंका कम रहती है। इसमें जितनी लापरवाही होगी, उतनी ही अधिक मौत के आंकड़े भी होंगे।
जानें, क्या कहते हैं जानकार: 10 अप्रैल के बाद गांवों में भी बदल गए हालात
श्रम संविदा बोर्ड के पूर्व चेयरमैन सतीश दीक्षित का कहना है कि 10 अप्रैल से पहले गांव के लोग निश्चिंत नजर आ रहे थे, लेकिन अब हालात बदल गए हैं। हर दिन किसी न किसी की मौत की खबर आ रही है। फर्रुखाबाद सहित आसपास के जिलों में कोरोना से लगातार मौतें हो रही हैं।
हर जिले में हो रही शिक्षकों व कर्मचारियों की मौत
अटेवा अध्यक्ष विजय बंधु का कहना है कि लखनऊ ही नहीं, सुल्तानपुर, मिर्जापुर, श्रावस्ती, महोबा सहित सभी जिलों में संगठन से जुड़े शिक्षक व कर्मचारी की मौत की खबरें मिल रही हैं। पंचायत चुनाव में ड्यूटी के बाद लोगों के घरों तक कोरोना पहुंच गया है।