
असम में कांग्रेस ने किया बड़ा ऐलान, बीजेपी के कारण एआईयूडीएफ और बीपीएफ से तोड़ेगी नाता
कांग्रेस की राज्य इकाई ने बदरुद्दीन अजमल के नेतृत्व वाली पार्टी ऑल इंडिया यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट और बोडोलैंड पीपुल्स फ्रंट से नाता तोड़ने का ऐलान किया है।
नई दिल्ली : आगामी विधानसभा चुनाव से पहले असम में सियासी पार्टियों के भाग दौड़ तेज होती नजर आ रही है। इसी क्रम में आगे बढ़ते हुए कल यानि सोमवार को कांग्रेस की राज्य इकाई ने एक बड़ा ऐलान किया है। कांग्रेस की राज्य इकाई ने बदरुद्दीन अजमल के नेतृत्व वाली पार्टी ऑल इंडिया यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट (एआईयूडीएफ) से नाता तोड़ने का ऐलान किया है। एआईयूडीएफ के साथ ही कांग्रेस बोडोलैंड पीपुल्स फ्रंट के साथ भी नाता तोड़ेगा। वहीं, कांग्रेस के इस एक तरफा फैसले को एआईयूडीएफ ने दुर्भाग्यपूर्ण बताया है।
इस पूरे मामले की जानकारी देते हुए कांग्रेस प्रवक्ता बोबिता शर्मा ने बताया कि प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष भूपेन बोरा की अध्यक्षता में हुई कोर कमेटी की बैठक में पाया गया कि एआइयूडीएफ के भाजपा के साथ व्यवहार और रवैये ने कांग्रेस के सदस्यों को चकित कर दिया है। उन्होंने कहा कि एआइयूडीएफ नेतृत्व और वरिष्ठ सदस्यों द्वारा भाजपा और मुख्यमंत्री की निरंतर और रहस्यमय प्रशंसा ने कांग्रेस पार्टी के प्रति जनता की धारणा को प्रभावित किया है।
अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए बोबीता ने कहा कि लंबे समय के चर्चा के बाद प्रदेश कांग्रेस की कोर कमेटी के सदस्यों ने ये फैसला किया है कि एआइयूडीएफ अब महाजोत में भागीदार नहीं रह सकता है। अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी को भी इस पूरे मामले के संबंध में सूचित किया जाएगा। इसके साथ ही बीपीएफ के साथ गठबंधन पर भी चर्चा हुई क्योंकि इसका नेतृत्व, विभिन्न प्लेटफार्मों पर महागठबंधन का हिस्सा बने रहने की अनिच्छा व्यक्त कर रहा है।
बोबिता ने कहा कि प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष को इस मामले में फैसला लेने का पूरा अधिकार देने के साथ पार्टी से नाता तोड़ने के फैसले की जानकारी आलाकमान को देने का फैसला किया गया है। उन्होंने कहा कि बैठक में राज्य अध्यक्ष, कार्यकारी अध्यक्षों और आगामी उपचुनावों के लिए गठित विधानसभा समितियों के अध्यक्ष को चुनाव रणनीति और उम्मीदवारों के चयन पर निर्णय लेने के लिए पूर्ण अधिकार देने के पहले के निर्णय का भी समर्थन किया गया।
उधर एआइयूडीएफ विधायक दल के नेता हाफिज बशीर अहमद ने एक बयान में कहा कि कांग्रेस द्वारा उनकी पार्टी को महागठबंधन से बाहर करने का निर्णय दुर्भाग्यपूर्ण है। यह वक्त की मांग है कि भाजपा को रोकने के लिए सभी धर्मनिरपेक्ष और लोकतांत्रिक पार्टियां एकजुट रहें। कुछ लोगों की निजी विचारों के चलते महागठबंधन कमजोर नहीं होना चाहिए। कांग्रेस को गठबंधन में दरार डालने के बजाय उसे मजबूत करने पर ध्यान देना चाहिए।
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