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उत्तराखंड में पीसीयू की सराहनीय पहल, अब से प्लास्टिक नहीं मिट्टी के पात्र में घर पहुंचेगा गंगा जल

देहरादून :  प्रादेशिक कोआपरेटिव यूनियन (पीसीयू) ने देश – विदेश जाने वाले गंगाजल के पात्र में परिवर्तन करते हुए इस पात्र को प्लास्टिक से मिट्टी में किये जाने को मंजूरी दी है। इस पात्र को आम के काष्ठ के आवरण में बंद होगा। यह कार्य नेचर महिला स्वयं सहायता समूह हरिद्वार के सहयोग से गंगा जल को घर-घर पहुंचाया जाएगा।

समूह व पीसीयू के पदाधिकारियों ने निबंधक सहकारिता कार्यालय के सभागार में सहकारिता मंत्री डा. धन सिंह रावत एवं सहकारिता के उच्चाधिकारियों के समक्ष आम की लकड़ी से बने काष्ठ आवरण और मिट्टी के पात्र को प्रस्तुत किया। मंत्री डा. रावत ने कहा कि, ”यह बहुत अच्छा कांसेप्ट है इसका व्यापक स्तर पर प्रचार और प्रसार करने की आवश्यकता है।”

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छोटे स्तर पर काम करने वाली महिलाओं को मिलेगी मदद 

उत्तराखंड देवभूमि है यहां हर वर्ष करोड़ों की संख्या में श्रद्धालु आते हैं। कहा कि महिला स्वयं सहायता समूह तथा अन्य स्वयं सहायता समूहों द्वारा निर्मित वोकल फार लोकल वस्तुओं को क्रय कर प्रोत्साहित करना चाहिए। इससे छोटे स्तर पर कार्य करने वाली मातृशक्ति व समूह की आर्थिकी मजबूत होगी।

देवभूमि पर यूँ तो रोज ही हजारों श्रद्धालु पहुँचते है। महिला स्वयं सहायता समूह तथा अन्य स्वयं सहायता समूहों द्वारा निर्मित वोकल फार लोकल वस्तुओं को बढाने के लिए यह फैसला उचित माना जा रहा है। इस फैसले से कुटीर उद्योग से जुडी महिलाओं के  मातृशक्ति व समूह की आर्थिकी मजबूत होगी।

प्रादेशिक कोआपरेटिव यूनियन के प्रबंध निदेशक मान सिंह सैनी जानकारी साझा करते हुए बताया कि, ”गंगाजल के साथ श्रद्धालुओं को हरिद्वार में पूजा के दौरान हरि के ऊपर चढ़ाए गए पुष्प से निर्मित धूप भी गंगाजल के साथ ही दी जा रही है।पीसीयू द्वारा निर्मित मिट्टी के पात्र में गंगाजल छह महीने तक सुरक्षित व वास्तविक गुणवत्ता के साथ स्च्छ, रहता है। जबकि प्लास्टिक के डिब्बों में में गंगाजल अपने वास्तविक स्वरूप में नहीं रह पाता। बताया कि यह गंगाजल अलग-अलग पैकेजिंग में 251, 551, और 1100 रुपये की सहयोग राशि के साथ देश व विदेश में उपलब्ध कराया जाएगा।”

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