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बारिश के बाद बढ़ी सर्दी शिशुओं के लिए आफत, यहाँ पढ़ें बचाव के टिप्स
फतेहपुर।
जिले में चार से छः घंटे की बारिश ने न केवल सर्दी बढ़ा दी बल्कि बच्चों के लिए मुसीबतें भी खड़ी कर दी। अचानक बढ़ी सर्दी से नवजात से लेकर पांच वर्ष तक कोल्ड डायरिया और चेस्ट इन्फेक्शन का खतरा बहुत बढ़ गया है। इसके लक्षण और बचाव को लेकर जिला अस्पताल के बाल रोग विशेषज्ञ डॉक्टर मूलचंद ने खास जानकारी दी। जिसमें उन्होंने लक्षण पहचानने से लेकर बचाव और उपचार के तरीके भी बताए।
बाल रोग विशेषज्ञ डॉक्टर मूल चंद्र ने बताया, अचानक हुई बारिश ने जहां तापमान गिरा दिया तो वहीं हवाओं ने मौसम को और सर्द कर दिया है। ऐसे में यह स्थित बच्चों के लिए बहुत खतरनाक है। जरा सी लापरवाही होने पर नवजात शिशुओं से लेकर पांच वर्ष तक के बच्चों को कोल्ड डायरिया और चेस्ट इन्फेक्शन हो सकता है। ऐसे में माँ को अपने शिशु का खास ध्यान रखने की जरूरत है। शिशु को सर्दी, जुकाम, बुखार के साथ दस्त आने शुरू हो जाते हैं। कई बार सर्दी, जुकाम, बुखार तो ठीक हो जाते है लेकिन दस्त फिर भी ठीक नहीं होता है। ऐसी स्थिति को ही कोल्ड डायरिया कहा जाता है। ऐसी लक्षण दिखाई दें तो तुरंत उपचार कराना चाहिए। जिससे बीमारी बढ़ने न पाए और समय से उपचार हो जाए।
बाल रोग विशेषज्ञ ने बताया कि समान्यतया कोल्ड डायरिया का उपचार बुखार, सर्दी, जुकाम के साथ ही होता है। इसके लिए उपचार भी लगभग सामान्य ही किया जाता है। लेकिन दस्त ठीक न होने पर यह स्थिति खतरनाक हो जाती है। ऐसी में शिशु को पानी की कमी हो जाती है। इसलिए शिशु को ओआरएस का पानी पिलाते रहना चाहिए। यदि बच्चा छः माह से कम का है तो उसे स्तनपान बंद न करवाएं। इसके साथ ही जल्दी से जल्दी किसी भी बाल रोग विशेषज्ञ के माध्यम से उपचार कराएं तो सबकुछ नियंत्रित हो सकता है।
इसके साथ ही शिशुओं में सर्दी लगने से जुकाम होती है और फिर जब जुकाम सूख कर फेफड़ों में जकड़ जाती है तो उसे गंभीर चेस्ट संक्रमण कहते हैं। साथ ही खांसी से सीने में दर्द भी होने लगता है। इससे बचने के लिए कफ ड्राप और दवाएं मौजूद हैं। बच्चों को भाप देकर राहत पहुंचाई जाती है। उन्होंने बताया कि शिशुओं को कोल्ड डायरिया और चेस्ट इन्फेक्शन से बचाने के लिए सबसे पहले उन्हें सर्दी न लगने दें। साथ ही गर्म या गुनगुना, उबाल कर पानी पिलाएं। जो बच्चे स्तनपान कर रहें हैं उनकी माताओं को सर्दी से बचना होगा, साथ ही गरम भोजन पर ध्यान दें। छोटे बच्चों को स्नान कराने और खुले में ले जाने से बचें। साथ ही जितनी जल्दी हो सके बाल रोग विशेषज्ञ को दिखाएँ और उपचार कराएं।