
चीन के ‘खाली वादों’ पर भरोसा करना श्रीलंका को पड़ा महंगा, दिवालियेपन के कगार पर
सीआईए प्रमुख बिल बर्न्स ने श्रीलंका के संकट के लिए ‘चीन की कर्ज जाल नीति’ को जिम्मेदार ठहराया। उन्होंने श्रीलंका पर कड़ा रुख अपनाते हुए कहा कि चीन के खोखले वादों के भरोसे श्रीलंका की आर्थिक स्थिति दिवालियेपन के कगार पर आ गई है। इतना ही नहीं, इस ऐतिहासिक आर्थिक संकट ने श्रीलंका को राजनीतिक आग में भी डुबो दिया। बिल बर्न्स ने श्रीलंका के बारे में अन्य देशों को भी आगाह किया कि वे चीन की अस्थिरता के वित्तीय जाल में न फंसें।
अस्थिरता ही बढ़ेगी
एस्पेन सिक्योरिटी फोरम में बोलते हुए बिल ने कहा कि चीनी निवेशकों की आर्थिक नीतियां बहुत लुभावना हैं, लेकिन वे आपको कर्ज के जाल में भी डाल देती हैं और स्थिति श्रीलंका जैसी हो सकती है। उल्लेखनीय है कि वर्तमान में श्रीलंका के पास तेल और गैस सहित आवश्यक वस्तुओं के आयात के लिए पर्याप्त विदेशी मुद्रा भंडार भी नहीं है। इस आर्थिक संकट के चलते लोगों ने हिंसक विरोध प्रदर्शन किया है। इसके कारण पहले राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे और तत्कालीन प्रधान मंत्री महिंदा राजपक्षे के इस्तीफे का कारण बना। नए राष्ट्रपति बने रानिल विक्रमसिंघो को भी भारी विरोध का सामना करना पड़ रहा है।
ब्याज का भुगतान करने में विफलता
सरकार पर 51 अरब डॉलर का भारी कर्ज है और सरकार उसका ब्याज नहीं चुका पा रही है। हाल के वित्तीय संकट से उबरने के लिए श्रीलंका अधिक उधार ले रहा है। श्रीलंका के आर्थिक विकास के इंजन पर्यटन को तोड़ दिया गया है।