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यूपी में भी होनी चाहिए जातीय जनगणना: डॉ. संजय निषाद

लखनऊ: 2024 लोकसभा चुनाव से पहले बिहार सरकार ने जातीय जनगणना के आंकड़े सार्वजनिक कर दिए हैं। जिसके बाद से राजनीतिक सरगर्मियां तेज़ हो गई हैं। यूपी में एनडीए के सहयोगी दल (निषाद पार्टी, अपना दल, सुभासपा) भी जातीय जनगणना के पक्ष में है. उत्तर प्रदेश सरकार में कैबिनेट मंत्री और निषाद पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ संजय निषाद ने कहना है कि हम शुरू से ही जातीय जनगणना के पक्ष में हैं लेकिन, मछुआ समाज के साथ हुई जातीय विसंगति दूर करने के बाद ही जातीय जनगणना करवाई जाए।

सेंसस मैनुअल 1961 के आधार पर हो जातीय जनगणना

डॉ. निषाद ने उत्तर प्रदेश सरकार से भी अनुरोध किया है कि जातीय जनगणना होनी कराई जाए जिससे सभी जातियों को स्पष्ट हो जाए कि उनकी कितनी आबादी है। उन्होंने कहा कि सेंसस मैनुअल 1961 के आधार पर राज्य में जातीय जनगणना होनी चाहिए जिसके अंतर्गत मछुआ समाज की सभी उपजातियों को अनुसूचित में गणना की जानी चाहिए। पूर्व की सपा-बसपा सरकारों ने समाज के साथ विश्वासघात किया है। सेंसस मैनुअल 1961 के अनुसार मछुआ समाज अनुसूचित जाति में अंकित है, किंतु पूर्व की सरकारों ने आरक्षण के नाम पर मझवार की सभी उपजातियों को पिछड़े और अनुचित में उलझाने का काम किया था,  जातीय जनगणना से पहले जातियों में विसंगति दूर की जाए उसके बाद जाति जनगणना करवाई जाए।

2024 लोकसभा चुनाव पर बात करते हुए डॉ. निषाद ने कहा कि पार्टी अपने सिंबल पर चुनाव लड़ेगी और जीत दर्ज कर दिल्ली संसद में पहुंचेगी। उन्होंने बताया कि भारतीय जनता पार्टी बड़े भाई की भूमिका में हमेशा से रही है और विधानसभा चुनाव की तर्ज पर भारतीय जनता पार्टी लोकसभा चुनाव में भी सम्मानजनक सीट देगी। कार्यकर्ताओं को आश्वस्त किया गया है। निषाद पार्टी के कार्यकर्ता एवं पदाधिकारी भारतीय जनता पार्टी के साथ लोकसभा चुनाव में एनडीए को जीतने के लिए दमखम के साथ मेहनत करेंगे।

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