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कैप्टन अमरिंदर vs नवजोत सिंह सिद्धू : क्या है पूरा मामला ?

देश के कई राज्यों से कांग्रेस पार्टी कमजोर पड़ चुकी है वहीं कई राज्यों में भी अभी भी कांग्रेस की ही सरकार चलती है जिसमें पंजाब और राजस्थान मुख्य राज्यों में आते हैं आपकी जानकारी के लिए बता दें कि इन राज्यों में भी कांग्रेस के अंदर आपसी फूट के कारण अब तकरार देखने को मिलती है इन्हीं टकरारों के चलते कई बड़े और दिग्गज नेता कांग्रेस पार्टी को छोड़कर भारतीय जनता पार्टी में शामिल हो गए हैं. ऐसे में कांग्रेस बचे हुए नेताओं को लेकर काफी नाजुक स्थिति में रहती है. वही अब एक बार फिर से पंजाब के अंदर घमासान देखने को मिल रही है आपकी जानकारी के लिए बता दें कि पंजाब में अगले साल की शुरुआत में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं जिसके कारण पार्टी में राजनीतिक हलचल दिख रही है.

पंजाब के नेताओं में मची घमासान को सुलझाने के लिए कांग्रेस हाईकमान पार्टी तीन सदस्यों की सियासी मंथन में जुटे हुए हैं जिसमें नवजोत सिंह सिद्धू सहित दो दर्जन विधायक और मंत्रियों के 3 सदस्य कमेटी के सामने बात रखने के बाद अब बारी मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह की है हालांकि पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह और पूर्व कैबिनेट मंत्री नवजोत सिंह सिद्धू के बीच मची कलह है में कांग्रेस वर्तमान और भविष्य की चिंता में उलझ चुकी है.

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आपको बता दें कि कैप्टन अमरिंदर सिंह ऐसे व्यक्ति हैं जो पंजाब की सियासत में काफी लंबी पारी खेलते आ रहे हैं मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह राज्य में कांग्रेस पार्टी के वर्तमान होने के साथ-साथ अब अगले साल खेले जाने वाली पारी के लिए पिच पर खड़े हुए हैं . आपको याद हो कि पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने 2017 में कहा था कि यह अंतिम चुनाव होगा लेकिन 4 साल के बाद अब वह एक और पारी खेलने के लिए तैयार दिख रहे हैं कांग्रेस हाईकमान की यह बात समझ रहा है कि पंजाब में कैप्टन अमरिंदर पार्टी का चेहरा बन चुके हैं और अगला चुनाव भी उन्हीं के नेतृत्व में लड़ा जाना चाहिए ताकि पार्टी को जीत मिल सके क्योंकि कई राज्यों से कांग्रेस पार्टी को बुरी तरह हार मिल रही है ऐसे में पार्टी यह चाहती है कि जहां पर उनकी सरकार है वहां पर वह कड़ा उम्मीदवार खड़ा कर सकें.

नवजोत सिंह सिद्धू की पॉलीटिकल एंट्री

आपको बता दें कि कांग्रेस पार्टी के पंजाब में मुख्य चेहरा एक नवजोत सिंह सिद्धू का भी है जो 2017 में भारतीय जनता पार्टी के चुनाव से पहले कांग्रेस का हाथ थाम चुके हैं नवजोत सिंह सिद्धू की राजनीतिक महत्वाकांक्षा किसी से भी छुपी हुई नहीं है वही नवजोत सिंह सिद्धू कांग्रेस के पंजाब प्रभारी हरीश रावत लगातार पार्टी का भविष्य नेता सिद्धू को बताते चले आए हैं जिसके चलते कांग्रेस हाईकमान के रुख से भी लगता है कि पार्टी सिद्धू को पंजाब में कांग्रेस का भविष्य चेहरा देखना चाहती है इसीलिए उनके तमाम बातों पर पार्टी नजरअंदाज कर रही है.

4 साल से चल रही है पंजाब कांग्रेस की अंदरूनी कलह

आपकी जानकारी के लिए बता दें कि पंजाब कांग्रेस में यह अंतर कलहे पिछले 4 सालों से देखने को मिल रही है लेकिन विधानसभा चुनाव से ठीक पहले नेताओं द्वारा अपने वर्चस्व की लड़ाई छिड़ चुकी है ऐसे में कांग्रेस हाईकमान की ओर से गठित मल्लिकार्जुन खड़गे, जयप्रकाश अग्रवाल और हरीश रावत की उच्च स्तरीय समिति ने तीन दिनों तक पंजाब के विधायकों, सांसदों और नेताओं की बात सुनी, जिसमें कांग्रेस विधायक दो हिस्सों में बैठे हुए नजर आ रहे हैं एक गुट कैप्टन अमरिंदर सिंह के साथ खड़ा है तो जबकि दूसरा गुट उनके खिलाफ है नवजोत सिंह सिद्धू समेत कई अन्य नेता ऐसे हैं जो कैप्टन के खिलाफ विरोध के स्तर पर खड़े हुए हैं विरोध का स्वर उठाने की देर है।

कांग्रेस की तीन सदस्यीय कमेटी की बैठक से पहले जिस प्रकार पंजाब के करीब एक दर्जन मंत्रियों और विधायकों को फोन किए उससे साफ है कि पार्टी पंजाब में अब दूसरी पंक्ति के नेताओं को भी तरजीह दे रही है. इनमें ज्यादातर विधायक व मंत्री वे थे जो कैप्टन के विरोधी हैं. ऐसे में सबसे ज्यादा नवजोत सिंह सिद्धू के लेकर कशमकश पार्टी में बनी हुई है कि कैसे पार्टी में उन्हें एडजस्ट कर रखा जाए. 

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सिद्धू को मुख्यमंत्री बनाने के लिए नहीं है तैयार कैप्टन

पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर किसी भी हालत में नवजोत सिंह सिद्धू को पंजाब का उपमुख्यमंत्री या पार्टी का प्रदेश अध्यक्ष बनाने के लिए बिल्कुल भी तैयार नहीं है वही हाईकमान हर हाल में सिद्धू का कद पंजाब में बढ़ाने की तमन्ना है रख रहा है हाईकमान मानता है कि सुधु ना केवल भीड़ इकट्ठा कर सकते हैं बल्कि कांग्रेस का भविष्य भी हो सकते हैं पंजाब प्रभारी बनने के बाद हरीश रावत बार-बार इस बात को दोहरा रहे हैं कि कैप्टन वर्तमान के नेता है जबकि नवजोत सिंह सिद्धू पंजाब में भविष्य का चेहरा है इसी कशमकश में पार्टी उलझी हुई है और कांग्रेस नेताओं के बीच जबरदस्त घमासान देखने को मिल रहा है।

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