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पंजाब में पावरकट से मचा है त्राहिमाम, 3 दिन तक दफ्तरों में एसी बंद रखने की अपील

पंजाब में गहराया बिजली संकट

Punjab: पंजाब में झुलसा देने वाली गर्मी के बीच पिछले 14 घंटे से लोगों को पावरकट का सामना करना पड़ रहा हैं। ऐसे में सबसे ज्यादा दुख का भार किसी पर फूटा है तो वह है राज्य का किसान तबका। जैसा कि आप सभी जानते है अभी किसानों (Farmers) के लिए अहम समय चल रहा हैं, क्योंकि अभी ही वे धान रोपाई का काम करते हैं। ऐसै में बिजली (Electricity) नहीं होने के कारण उनका सारा काम ठप पड़ा हुआ हैं।

दरअसल पंजाब में बिजली आपूर्ति में 1,330 मेगावाट की कमी दर्ज की गई है। बिजली निगम के कर्मचारियों की हड़ताल के कारण बिजली कटौती की समस्या सामने आ रही है। कहा जा रहा है कि हड़ताल के कारण मेंटेनेंस का काम ठप हो गया है, जिसकी वजह से आपूर्ति में गड़बड़ी आ रही है।

इस मसले को लेकर विपक्षी दल तो सरकार को घेर ही रहे हैं, साथ ही अपनी पार्टी के विधायक नवजोत सिंह सिद्धू ने कहा है कि सरकार अगर सही दिशा में काम करे तो पंजाब में बिजली कटौती की जरूरत ही नहीं पड़ेगी। दूसरी ओर गर्मी की बात करें तो प्रदेश में गुरुवार को बठिंडा में सबसे अधिक 43 डिग्री सेल्सियस तापमान दर्ज किया गया।

मिली जानकारी के अनुसार मोहाली के कई इलाकों में पिछले 24 घंटों में 14 घंटे से अधिक की कटौती का सामना करना पड़ा। पटियाला और बठिंडा में सात घंटे तक बिजली गुल रही। कपूरथला, तरनतारन, फिरोजपुर, मुक्तसर और लुधियाना के कुछ हिस्सों में 6 से 12 घंटे के बीच बिजली सप्लाई बंद रही। यह सिलसिला पिछले एक सप्ताह से अधिक समय से जारी है। जहां तक समस्या की जड़ की बात है, प्रदेश में बिजली निगम के कर्मचारी हड़ताल पर चल रहे हैं। फीडरों और सब-स्टेशनों पर ओवरलोडिंग की वजह से टूट-फूट की शिकायतों का तुरंत समाधान नहीं किया जा रहा है।

तो वहीं इस समस्या को लेकर मुख्यमंत्री ने सभी सरकारी दफ्तरों से बिजली का समान रूप से उपयोग करने का आग्रह करते हुए कहा कि राज्य की स्थिति गंभीर है, क्योंकि पंजाब में बिजली की मांग 14,500 मैगावाट तक पहुंच गई है। कैप्टन ने आंदोलन कर रहे बिजली निगम के कर्मचारियों से भी आग्रह किया कि वो अपने आंदोलन को समाप्त करें। एक उच्च स्तरीय बैठक में स्थिति की समीक्षा करते हुए, उन्होंने आंदोलनकारी कर्मचारियों की शिकायतों को हल करने के लिए तीन सदस्यीय समिति का गठन किया, जिसमें आगे मुख्य सचिव (विकास), PSPCL के CMD और विशेष सचिव (वित्त) शामिल थे। उन्होंने कार्यकर्ताओं को आश्वासन दिया कि उनकी वास्तविक मांगों पर उचित कार्रवाई के लिए विचार किया जाएगा।

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