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बर्थडे स्पेशल : कादर खान की 85वीं  जन्मदिन पर पढ़े उनकी कैरियर और ज़िन्दगी से जुड़े अनसुने किस्से , नम हो जाएंगी आपकी आँखे 

एंटरटेनमेंट डेस्‍क : बॉलीवुड के दिवगंत एक्‍टर कादर खान जितने एक्टिंग के महारथी और कॉमेडी में माहिर थे, उतने ही कलम के भी दमदार थे। उन्‍होंने कई फिल्मों में बेहतरीन डायलॉग्स लिखे। 300 से अधिक फिल्मों में अभिनय से छाप छोड़ी और बॉलीवुड में छा गए। लेकिन, उनका ये सफर इतना आसान नहीं रहा।

कादर खान का बचपन इतनी अधिक गरीबी में बीता कि उनके परिवार को सप्‍ताह में तीन दिन भूखे रहकर ही गुजारा करना पड़ता था, लेकिन मां ने उनकी पढ़ाई नहीं छूटने दी। कादर बचपन में मिमिक्री भी खूब करते थे और यही टैलेंट उन्हें जिंदगी में आगे ले गया। लेकिन हैरानी वाली बात है कि पांच दशक सिनेमा को देने वाले कादर खान के हिस्से अधिक अवॉर्ड नहीं आए। हालांकि, उनके निधन के एक साल बाद वर्ष 2019 में उन्हें ‘पद्मश्री’ अवार्ड से नवाजा गया।

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अफगानिस्‍तान में जन्‍मे थे कादर खान

कादर खान का जन्म अफगानिस्तान के काबुल में हुआ था। उनके पिता अब्दुल रहमान अफगान निवासी थे और उनकी मां इकबाल बेगम ब्रिटिश इंडिया से थीं। कादर के जन्म के पहले उनके तीन बड़े भाई भी हुए, लेकिन सभी की आठ साल तक की आयु में मौत हो गई थी। कादर खान के जन्म के बाद उनकी मां इस बात से डर गई थीं कि कादर की भी मौत ना हो जाए। इसी कारण उनका पूरा परिवार अफगानिस्तान से भारत आ गया। यहां आने के बाद कादर का पूरा परिवार मुंबई की एक बस्ती में जाकर बस गया।

कादर खान को बचपन से ही नकल करने की आदत थी। वो कब्रिस्तान में जाकर दो कब्रों के बीच बैठ खुद से बातें करते हुए फिल्मी डायालॅग्स बोलते थे यानी उनकी प्रैक्टिस करते थे। वहीं, एक शख्स दीवार की आड़ में खड़े होकर उनको देखता था और वो थे अशरफ खान। उस समय अशरफ अपने एक स्टेज ड्रामा के लिए आठ साल के लड़के की तलाश में थे। उन्होंने कादर खान को नाटक में काम दे दिया और यहीं से उनकी किस्मत बदल गई।

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पढ़ाई में भी बेहद होशियार थे कादर खान

मां के चले जाने के बाद भी कादर खान ने उनसे किए हुए वादे को पूरा और ड्रामा करने के साथ उन्होंने अपनी पढ़ाई जारी रखी। वह पढ़ाई में बेहद होशियार थे। कादर ने मुंबई के इस्माइल युसुफ कॉलेज से ग्रेजुएशन किया और इसके बाद सिविल इंजीनियरिंग में पोस्ट ग्रेजुएशन किया। मुंबई के एक इंजीनियरिंग कॉलेज में कादर खान लेक्चरर भी थे। साथ ही वह थिएटर से भी जुड़े रहे।

कादर खान का एक ड्रामा ‘ताश के पत्ते’ बहुत फेमस हुआ था, जिसे अभिनेता दिलीप कुमार ने भी देखा। दिलीप साहब को उनका ये ड्रामा बहुत पसंद आया और शो खत्म होते ही उन्होंने स्टेज पर इस बात का ऐलान कर दिया कि वो कादर खान को फिल्मों में काम देंगे। इसके बाद दिलीप कुमार ने कादर खान को दो फिल्मों में साइन किया। इसके बाद कादर खान ने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा।

 

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