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बिहार पंचायत चुनाव : बाढ़ में बह रहा है बिहार, बिहार सरकार बह रही है पंचायत चुनाव की ओर !

बिहार पंचायत चुनाव : बिहार सरकार हर साल एक ही दावा करती है कि ये आखिरी साल है जब बिहार को बाढ़ का सामना करना पर रहा है, अगले साल से सब बेहतर होगा। लेकिन वो आखिरी साल कब आएगा इस सोच में बिहार की जनता फिलहाल डूब रही है। बाढ़ से बिहार पूरी तरह ग्रस्त हैं, गंगा से लगे इलाकों में लगातार जल का स्तर बढ़ता ही जा रहा है।

जिन इलाकों में जल स्तर बढ़ चुका है वंहा के लोग फुटपाथ पर रहने को मजबूर है, पर सरकार को इन सब से कोई मतलब नही है। लोग डूब जाए तो डूब जाए पर सरकार को तो बस चुनाव करवाना है और इसीलिए सरकार का पूरा ध्यान पंचायत चुनाव पर है। वो कहते है न ‘अपना काम बनता बाकी भाड़ में जाये जनता।’

वैसे आपको बता दे कि नीतीश सरकार अपनी बड़ी उपलब्धियों में से एक उपलब्धि सड़क निर्माण को मानती हैं । लेकिन अब सवाल ये है कि सड़क तो बन गयी लेकिन उसके नीचे का ड्रेनेज सिस्टम जो पूरी तरह खोखला है, वो कौन बनवाएगा?

गंगा समेत दूसरी नदियों का जलस्तर बढ़ने की वजह से बिहार के 16 जिले इन दिनों बाढ़ (Bihar Flood) से जूझ रहे हैं। भीषण बाढ़ की वजह से अब तक 16 लोगों की मौत हो चुकी है। वहीं 32 हजार से ज्यादा लोग प्रभावित हुए हैं।

सभी मृतकों के परिवारों को सीएम फंड से चार-चार लाख रुपये मुआवजे के तौर पर दिए जाएंगे। बाढ़ प्रभावित इलाकों में राहत और बचाव कार्यों के लिए NDRF की 14 टीमें और SDRF की 12 टीमें लगाई गई हैं।

ये कोई पहली दफ़ा नही है जब बिहार बरसात और बाढ़ से ग्रस्त है। हर दूसरे साल ये नज़ारा देखने को मिलता है बिहार में लेकिन जैसे ही बरसात का मौसम खत्म होता है और गंगा का स्तर कम जाता है, सरकार वैसे ही बाढ़ से जुड़ी परेशानियों को भी भूल जाती है। यंहा वादे बड़े-बड़े किये जाते है पर जनता के लिए जब काम करने का समय आता है, तो सरकार पीठ घुमा के खड़ी हो जाती है।

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