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” जांच में मूल अधिकारों के सम्मान और निष्पक्ष जांच के बीच बिठाएं तालमेल” – दिल्ली उच्च न्यायालय
उच्च न्यायालय ने मूल अधिकारों की रक्षा करते हुए किसी भी मामले की निष्पक्ष जांच की सलाह दी। हाईकोर्ट ने कहा कि, मूल अधिकारों की रक्षा करते हुए निष्पक्ष जांच होनी चाहिए। अदालत ने बहन के साथ सामूहिक दुष्कर्म के आरोपी एक वकील को जमानत देने की याचिका पर टिप्पणी करते हुए कहा कि, किसी भी मामले में मौलिक अधिकारों के सम्मान और निष्पक्ष जांच के बीच भी संतुलन बनाना जरूरी है।
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जस्टिस स्वर्णकांता शर्मा (Swarnakanta Sharma) ने सुनवाई के दौरान पीड़िता ने घटना के 3 साल बाद अपने दो भाइयों और याची की पत्नी के खिलाफ मामला दर्ज कराया। इसको लेकर जस्टिस ने सवाल उठाया। अदालत ने कहा कि, यह शिकायतकर्ता और याचिकाकर्ता के बीच सगी बहन-भाई का मामला है। शिकायत के मुताबिक, ये घटना मार्च 2019 की है जबकि प्राथमिकी अप्रैल 22 में दर्ज करवाई गई।
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अदालत ने शिकायतकर्ता के वकील से एफआईआर में देरी का कारण पूछा, तो उन्होंने कहा कि यह एक संवेदनशील रिश्ता था। इसलिए पिता के कहने पर तत्काल शिकायत दर्ज नहीं कराई। पिता ने कहा था कि, परिवार की प्रतिष्ठा सर्वोपरि है। पिता के निधन के बाद पीड़िता ने अपने पति की सलाह के बाद प्राथमिकी 2022 में दर्ज कराई। अदालत का विचार था कि उसे इस मामले में सचेत रहना होगा और ध्यान रखना होगा कि इसमें दो भाइयों के सगी बहन के यौन उत्पीड़न का मामला है। याचिकाकर्ता की पत्नी भी मामले में संलिप्त थी। वह घटना के वक्त कमरे के बाहर पहरा दे रही थी।