
अमेरिकी रिपोर्ट में भारतीय धार्मिक आजादी को बताया गया नकारात्मक
भारत कई धर्मों का देश माना जाता है भारत के अंदर धार्मिक आजादी शुरू से ही महत्वपूर्ण रही है लेकिन अमेरिका द्वारा जारी करी गई एक रिपोर्ट के अनुसार भारत में धार्मिक आजादी की स्थिति इस वक्त नकारात्मक बताई गई है जिसके बाद से लोग अलग-अलग प्रकार की प्रक्रियाएं देते नजर आ रहे हैं आपकी जानकारी के लिए बता दें कि यूनाइटेड स्टेट्स कमीशन ऑन इंटरनेशनल रिलेशन फ्रीडम की तरफ से एक रिपोर्ट जारी की गई है रिपोर्ट वार्षिक रिपोर्ट है इसमें भारत को लेकर धार्मिक आजादी की स्थिति को नकारात्मक बताया गया है भारत को कंट्री ऑफ कंसर्न यानी चिंताजनक हालात वाले देशों की लिस्ट में शामिल करने पर चर्चा चल रही है ।
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भारत की निंदा
United States commission on international relation freedom द्वारा तैयार की गई इस वार्षिक रिपोर्ट में भारत के अंदर धार्मिक आजादी को बाधित करने के लिए कट्टर धार्मिक संगठनों का समर्थन करने की निंदा की गई है। क्या तैयार की गई है रिपोर्ट दुनिया में भारत की छवि को धूमिल कर सकती है? सोशल मीडिया पर इस बात की चर्चा होती देखो जा सकती है।
आपकी जानकारी के लिए बता दें कि बीते साल 2020 में अमेरिका संस्था ने ऐसी ही सिफारिश की थी जब विदेश मंत्रालय ने कहा था कि हम अपने पुराने रुख का अडिग है और कोई बहाली हमारे नागरिकों की स्थिति के बारे में आकर हमें नाम बताए जिन्हें संविधानिक सुरक्षा मिली हुई है विदेश मंत्रालय ने यह भी कहा था कि भारत में ऐसी व्यवस्था है जो धार्मिक स्वतंत्रता और कानून के शासन की सुरक्षा करने की गारंटी देती है। इस बात से साफ हुआ था कि बीते साल विदेश मंत्रालय ने किसी भी बाहरी को इस मामले में दखल देने से मना कर दिया था।
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भारत में बीते साल कई बड़े प्रदर्शन होते देखे गए जिसमें से एक अहम था नागरिकता संशोधन कानून । भारत के अंदर कई महीनों तक प्रदर्शन देखने को मिला बरहाल इस रिपोर्ट में CAA को लेकर हुए विरोध प्रदर्शन का जिक्र किया गया है रिपोर्ट में यह कहा गया है कि भारतीय जनता पार्टी के नेतृत्व वाली सरकार ने हिंदू राष्ट्रवादी नीतियों को बढ़ावा दिया है इसकी वजह से धार्मिक स्वतंत्रता का निरंतर और गंभीर उल्लंघन होता जा रहा है।
CAA को बताया कानूनी भेदभाव
जारी कर दी गई इस रिपोर्ट में इस बात पर जोर डाला गया है कि 2020 की शुरुआत में सीएए विरोध प्रदर्शन में शामिल हुए, इस कानून में पाकिस्तान अफगानिस्तान समेत बांग्लादेश के अल्पसंख्यकों को भारत में नागरिकता देने का प्रावधान था रिपोर्ट में यह आरोप लगाया गया है कि सी ए ए का विरोध करने वालों को निशाना बनाया गया इसके साथ ही रिपोर्ट में इस कानून को भेदभाव पूर्ण करार दिया गया है।
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रिपोर्ट में आसाम का भी जिक्र
रिपोर्ट में सीए और राष्ट्रीय नागरिकता रजिस्टर्ड यानी एनआरसी का भी जिक्र किया गया है इसमें इस संशोधन कानून में खामियां गिनाई गई है और कहा गया है कि असम में एनआरसी को लागू किया गया इसका नतीजा यह हुआ कि या शाम में 10 लाख से ज्यादा लोग नागरिक रजिस्टर्ड से बाहर हो गए कई मामलों में देखा गया कि कई पीढ़ियों से असम में रह रहे परिवारों को नागरिक रजिस्टर से बाहर होना पड़ा असम में डिस्टेंशन क्या बनाए गए हैं संस्था ने असम की स्थिति पर चिंता भी जाहिर की है।