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जानें कब है सोमवती अमावस्या, बन रहा है अद्भुत संयोग

30 मई को है सोमवती अमावस्या, इसी दिन होगी वट सावित्री पूजा

30 मई को है सोमवती अमावस्या, इसी दिन होगी वट सावित्री पूजा

ज्योतिषाचार्य पंडित विनय कुमार ने पितृदोष से मुक्ति के लिए बताए उपाय

इस बार 30 मई को सोमवती अमावस्या पर अद्भुत संयोग बन रहा है। यह दुर्लभ संयोग 30 साल बाद बनेगा। इसी दिन वट सावित्री की पूजा भी होगी। ज्योतिषाचार्यों का कहना है कि सोमवती अमावस्या के दिन व्रत पूजा और दान करने से मानसिक शांति प्राप्त होगी और तरक्की की राह में आने वाली बाधाएं दूर होंगी।

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सोमवती अमावस्या

ज्योतिष काल की गणना के अनुसार ज्येष्ठ मास की कृष्ण पक्ष की अमावस्या 30 मई को पड़ रही है। इसी दिन सुहागिन महिलाएं व्रत रखकर वट सावित्री की पूजा भी करेंगी। अमावस्या का दिन सोमवार पड़ने से इसे सोमवती अमावस्या भी कहते हैं। ज्योतिषाचार्य पंडित विनय कुमार ने बताया कि इसी दिन सूर्य देव के पुत्र शनिदेव का जन्मदिन भी है। इसे शनि जयंती के नाम से भी जाना जाता है। एक ही दिन दोनों अद्भुत संयोग बनने से प्रात: काल से ही सर्वार्थ सिद्धि योग और सुकर्मा योग बन रहा है। 30 साल बाद बनने वाले इस शुभ संयोग में की जाने वाली पूजा से जातक को अद्भुत लाभ होगा। अमावस्या के दिन पूजा पाठ करने से पितृदोष से मुक्ति मिलती है।

पितृदोष दूर करने के उपाय

पंडित विनय कुमार का कहना है कि सोमवती अमावस्या के दिन प्रात: काल ब्रह्म मुहूर्त में किसी नदी या सरोवर में स्नान करके सूर्य को अर्घ्य देना चाहिए। उसके बाद पूजा पाठ करके किसी ब्राह्मण को भोजन कराएं या किसी जरूरतमंद को दान दें। इससे पितृदोष समाप्त होता है।

अमावस्या के दिन ब्रह्म मुहूर्त में स्नान करके पितरों को प्रसन्न रखने के लिए पिंडदान करने की भी परंपरा है। ज्येष्ठ मास की चिलचिलाती धूप में सोमवती अमावस्या व्रत के दिन जल से भरा हुआ कलश, छाता, खड़ाऊ, खीरा, ककड़ी आदि गर्मी में काम आने वाली वस्तुओं का दान श्रेष्ठ माना जाता है। इससे पितर प्रसन्न होते हैं और घर में सुख समृद्धि बढ़ती है। सोमवती अमावस्या के दिन बरगद के पेड़ की पूजा करनी चाहिए, क्योंकि ऐसी मान्यता है कि बरगद के पेड़ पर त्रिदेवों का वास रहता है। इस पर ब्रह्मा, विष्णु, महेश तीनों देव वास करते हैं। इनकी पूजा करने से पितृदोष से मुक्ति प्राप्त होती है।

शनि दोष दूर करने के लिए विशेष उपाय…..

शनि मंदिर में सरसों के तेल का दिया जलाएं।

ओम शम शनैश्चराय नमः का सामर्थ्यानुसार एक माला, तीन माला, पांच माला जाप करें।

साबुत उड़द का दान गरीब व्यक्ति को करें।

अपने पितरों के निमित्त दूध और सफ़ेद मिठाई मंदिर में दान दें।

आवश्यकतामंद और बुजुर्ग व्यक्तियों को भोजन सामग्री, वस्त्र दान करें।

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