
विश्व की सबसे बड़ी इकोनॉमी इन दिनों खतरे से जूझ रही है। कोरोना महामारी के बाद से चीन की आर्थव्यवस्था काफी मंदी से गुजर रही है। जानकारों की माने तो चीन की समस्या भारत के लिए अवसर के रूप में है। निवेश आकर्षित करने और वैकल्पिक वैश्विक आपूर्ति केंद्र के रूप में उभरने के लिए भारत को अपने विनिर्माण क्षेत्र को मजबूत करने की जरूरत है। चीन की आर्थिक वृद्धि दर इस साल घटकर 3.5 फीसदी रहने का अनुमान है।
इस माह में इकोनॉमिक इंडिकेटर्स रहा काफी डाउन
जुलाई महीने के इकोनॉमिक इंडिकेटर्स पर गौर करें तो रिटेल सेल्स का ग्रोथ रेट 2.7 फीसदी रहा, जिसका अनुमान 4.9 फीसदी रखा गया था. जून में यह ग्रोथ 3.1 फीसदी था. प्रॉपर्टी सेल्स में 29 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई. जून की गिरावट 18 फीसदी थी. जुलाई में इंडस्ट्रियल आउटपुट 3.8 फीसदी रहा जिसका अनुमान 4.3 फीसदी का था. युवा बेरोजगारी दर बढ़कर रिकॉर्ड 19.9 फीसदी पर पहुंच गई. ये तमाम इंडिकेटर्स मंदी की तरफ इशारा कर रहे हैं.
ताइवान मामले के बाद चीन की अर्थव्यवस्था का बुरा असर
इसके अलावा ताइवान को लेकर अमेरिका और चीन के बीच बढ़ता तनाव भू-राजनीतिक अस्थिरता में बदल सकता है। इससे दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था से कच्चे माल और उपकरणों की आपूर्ति पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है।
भारत के लिए क्या हो सकते है अवसर
आनंद राठी शेयर्स एंड स्टॉक ब्रोकर्स के मुख्य अर्थशास्त्री सुजान हाजरा ने कहा कि इन सबसे भारत के लिए कुछ सकारात्मक चीजें होंगी. उन्होंने कहा, ‘‘पहला, चीन में अनिश्चितता से वैकल्पिक वैश्विक आपूर्ति केंद्र के रूप में भारत आकर्षक हो सकता है. दूसरा, वैश्विक निवेशकों के उभरते बाजारों में कोष आवंटन में चीन की कीमत पर भारत की हिस्सेदारी बढ़ सकती है.’’
मूडीज ने चीन के ग्रोथ रेट को घटाकर 3.5 फीसदी किया
वैश्विक रेटिंग एजेंसी मूडीज ने 2022 के लिए चीन की आर्थिक वृद्धि दर के अनुमान को घटाया है. ताजा रिपोर्ट के अनुसार, दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था की वृद्धि दर 3.5 फीसदी रहने का अनुमान है. जबकि पूर्व में इसके 4.5 फीसदी रहने की संभावना जतायी गयी थी.