SC का आदेश, मुफ्त में चीजें देने के बजाय बुनियादी ढ़ाचें के विकास पर जोर दें पार्टियां …
पाबंदी की मांग करते हुए इस पर विचार करने के लिए विशेषज्ञ समिति बनाने की मांग की है।
दिल्ली:चुनावों के वक्त मुफ्त में चीजें देने के राजनीतिक दलों के वादों और मुफ्त बिजली और पानी वितरण को सुप्रीम कोर्ट ने गंभीर मुद्दा माना है। शीर्ष कोर्ट के 2 जजों की पीठ ने करीब 20 मिनट तक इसे चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई की।
याचिका में चुनावी खैरात पर पाबंदी की मांग करते हुए इस पर विचार करने के लिए विशेषज्ञ समिति बनाने की मांग की है। सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के दौरान साफ कहा कि, सभी पक्षों के सुझावों पर विचार करने के बाद ही फैसला देंगे। वहीं अगली सुनवाई की तारीख 17 अगस्त कर दी है।
दरअसल, सुनवाई के दौरान SC ने कहा कि, पार्टियों का मुफ्त में चीजें और सेवाएं देने का वादा करना और बांटना गंभीर मसला है। यह पैसा बुनियादी ढांचे के विकास पर खर्च किया जाना चाहिए। पैसे गंवाना और लोगों की भलाई के कामों में संतुलन होना चाहिए। वहीं सुप्रीम कोर्ट ने इस पर सभी पक्षों से सुझाव भी मांगा है।
हालांकि, आम आदमी पार्टी के वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने इस मामले में विशेषज्ञ समिति के गठन को गैर जरूरी बताया। उन्होंने कहा कि, कल्याणकारी योजनाओं और मुफ्त में चीजें देने में अंतर है।