जानें कौन है गीतांजलि श्री, जिन्हे ‘रेत की समाधि’ के लिए मिला बुकर पुरस्कार
पुस्तक दुनिया की 13 रचनाओं में शामिल थी जिसे अंतरराष्ट्रीय बुकर पुरस्कार की सूची में शामिल किया गया था।
नई दिल्ली: हिंदी भाषा में शिक्षण की पहली पुस्तक लिखने वाली उत्तर प्रदेश(up) के जनपद मैनपुरी (mainpuri)की सुप्रसिद्ध लेखिका गीतांजलि श्री(gitanjali shri) को अंतर्राष्ट्रीय बुकर पुरस्कार9booker prize) से नवाजा गया है। गीतांजलि श्री कोरिया पुरस्कार टॉम ऑफ सैंड यानी रेत की समाधि नामक पुस्तक के लिए दिया गया है। हिंदी के पहले शिक्षण पुस्तक की अंग्रेजी में अनुवाद डेज़ी राक्विल ने किया है। पहले पुस्तक दुनिया की 13 रचनाओं में शामिल थी जिसे अंतरराष्ट्रीय बुकर पुरस्कार की सूची में शामिल किया गया था। जब पुस्तक हिंदी भाषा में पहला फिक्शन है जो प्रतिष्ठित साहित्यिक पुरस्कार की दौड़ में शामिल था।
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार ‘tomb of sand’ यानी रेत की समाधि प्रतिष्ठित अंतरराष्ट्रीय बुकर पुरस्कार जीतने वाली किसी भी भारतीय भाषा की पहली किताब बन गई है। इस पुस्तक की लेखिका गीतांजलि श्री ने कहा कि वह आज शाम तक ब्लू से पूरी तरह से अभिभूत थी। उन्होंने 50000 जी बीपी का अपना पुरस्कार लिया और पुस्तक के अंग्रेजी अनुवाद अंग्रेजी राक्वेल के साथ साझा किया।
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संस्कार मीडिया से बातचीत करते हुए गीतांजलि श्री ने कहा कि मैंने कभी बुकर पुरस्कार का सपना भी नहीं देखा था। उन्होंने कहा कि मैंने कभी सोचा भी नहीं था कि ऐसा कर सकती हूं। इस पुरस्कार के मिलने से एक अलग तरह की संतुष्ट है।गीतांजलि श्री ने कहा कि जीत समाधि उस दुनिया के लिए एक शोक गीत है जिसमें हम निवास करते हैं। उन्होंने कहा कि बुखार इसे कई लोगों तक पहुंचाएगा।
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गीतांजलि श्री ने कहा कि मेरे इस पुस्तक के पीछे हिंदी और अन्य दक्षिण एशियाई भाषाओं में से एक समृद्ध और साहित्यिक परंपरा हैं। दक्षिण एशियाई भाषाओं में एक सम्रत और साहित्यिक परंपराएं भाषाओं के कुछ बेहतरीन लेखकों को जानने के लिए विश्व साहित्य अधिक समृद्ध होगा। इससे जीवन की शब्दावली बढ़ेगी।