Start-Up
किसानों को सशक्त बनाने के लिए सई गोले ने की उद्योग के बारे में
आईआईटी मद्रास की छात्रा हैं सई
हमारा देश कृषि प्रधान देश है। देश के किसानों की आय में वृद्धि हो सके इसके लिए आईआईटी की एक पूर्व छात्रा ने अपनी मोटी सैलरी वाली नौकरी तक छोड़ दी। और एक नए उद्योग की शुरुआत की।
साल 2017 में की थी भारत एग्री की स्थापना
कृषि को बिजनेस बनाने और कृषि क्षेत्र में क्रांति लाने के उद्देश्य से सई गोले ने साल 2017 में सिद्धार्थ दैलानी के साथ मिलकर भारत एग्री की स्थापना की। यह एक ऐप है जो किसानों को उनकी जरूरत के हिसाब से व्यक्तिगत राय और जरूरी औज़ार लेने में मदद करता है। इसके अलावा इससे किसान की उपज भी कई गुना तक बढ़ाई जा सकती है।
किसानों को मिली सही सलाह
सई गोले और सिद्धार्थ दैलानी का कहना है कि, देश के किसान कृषि को एक व्यापार की तरह देखा जाना चाहिए। और उनके रोज़ के फैसलों के लिए उनके साथ भरोसेमंद सलाहकार काम करें। यह स्टार्टअप उन किसानों को जरूरी तकनीक मुहैया कराना सुनिश्चित करता है। और वह भी कम से कम मूल्य पर, जिससे किसान बिना किसी परेशानी के अपनी उपज को और बढ़ाने पर ध्यान केन्द्रित कर सकें।
आईआईटी मद्रास की छात्रा हैं सई
आईआईटी मद्रास की छात्रा रहीं सई का कहना है कि, किसानों के पास वैज्ञानिक तकनीक की ख़ासी कमी है। और इसके चलते वे अधिक कमाई कर सकने में सक्षम नहीं हो पाते हैं। हमने शुरुआत में फेसबुक और व्हाट्सऐप की मदद से दोनों ने किसान समुदाय तक अपनी पहुंच बनाने की कोशिश की। जिसके बाद उनका मासिक यूजर बेस जल्द ही 300 से बढ़कर 5 लाख किसानों का हो गया था।
स्थानीय बोलियों में मदद
बेंगलुरु आधारित इस स्टार्टअप की ऐप को ज्यादा से ज्यादा किसानों तक पहुंचाने के लिए सई ने शुरुआत में लाइव सेशन किए। फेसबुक का सहारा लिया। व्हाट्सऐप बिजनेस एंकाउंट को भी जरिया बनाया। सई व्हाट्सएप के जरिए किसानों को वॉइस मेल भेजकर उनको आसानी से अपनी बात समझा पाती थीं। शुरुआत से ही स्टार्टअप ने यह सुनिश्चित किया कि वे अलग-अलग भाषाओं के जरिये बड़ी संख्या में किसानों को अपने साथ जोड़ने में सक्षम हो सकें। आज कंपनी के प्रतिनिधि स्थानीय बोली बोलते हुए क्षेत्रीय किसानों को मदद मुहैया कराते हैं।
तेजी से बढ़ रहा है कृषि व्यवसाय
हांलाकि भारत एग्री को शुरुआती 2 सालों के लिए बूटस्ट्रैप करने की जरुरत पड़ी थी। शुरुआत में स्टार्टअप ने बी2बी मॉडल के तहत उन उद्योगों के साथ काम किया। जिनके पास किसानों के साथ काम करने का अनुभव था। हालांकि 2019 में स्टार्टअप बिजनेस टू फार्मर (B2F) मॉडल में शिफ्ट हो गया था।