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सोशल मीडिया पर सरकार का कड़ा रुख, क्या जुड़े हैं राजनैतिक तार ?

भारत सरकार द्वारा सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म को लेकर कड़ा रुख अपनाया जा रहा है दरअसल सोशल मीडिया कंपनी को सरकार द्वारा कुछ दिशा निर्देश दिए गए थे जिनका पालन करना सभी कंपनियों के लिए अनिवार्य था अगर कोई कंपनी सरकार द्वारा जारी दिशानिर्देश का पालन करने से इंकार करती है तो सरकार उनके खिलाफ कड़ी कार्यवाही कर सकती है फिर इस कार्यवाही में कंपनियां भारत के अंदर से बैन भी हो सकती है .

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लेकिन क्या भारत सरकार के इस दिशा निर्देश में कोई राजनीति छुपी हुई है? दरअसल सोशल मीडिया पर कई यूजर के बैन करने को लेकर नाराजगी जाहिर करते हुए नजर आ रहे हैं हाल ही में टूलकिट मामले को लेकर ट्विटर को सरकार द्वारा नोटिस भेजा गया जिसमें कहा गया कि मैनिपुलेटेड मीडिया का टैग हटाया जाए, लेकिन ट्विटर द्वारा अभी तक ऐसा कोई कदम नहीं उठाया क्या। इसी के चलते लोग अलग-अलग प्रकार की चर्चा करते नजर आ रहे हैं कोई ट्विटर के बयान होने पर यह बता रहा है कि हमारी आवाज दवाई जा रही है तो कोई यह कह रहा है किसके पीछे राजनीति हो रही है?

लेकिन ऐसा इसलिए नहीं हो रहा है क्योंकि सरकार द्वारा यह मामला आज से नहीं किया गया सरकार ने सोशल मीडिया कंपनीज को काफी समय पहले दिशा निर्देश दिए थे जिसका पालन करने में नाकाम साबित होने पर फेसबुक टि्वटर व्हाट्सएप जैसी कुछ कंपनियां प्लेटफार्म की ओर से वक्त मांगा जा रहा है तू कुछ पूरी तरह से चुप्पी साध कर बैठी है मेरी जानकारी की माने तो अंदाजा इस बात का लगाया जा रहा है कि बुधवार को खत्म हो रही इस समय सीमा में कुछ मोहलत भी दी जा सकती है लेकिन अगर सरकार के अंदर यह मन बन चुका है कि उन्हें इस इंडियन कंपनी की तरह निरहू कौर सर्वशक्तिमान होने की छूट बिल्कुल नहीं दी जा सकती तो कंपनियों के लिए बड़ी मुसीबत साबित हो सकती है।

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हालांकि सरकार द्वारा कोई भी राजनीतिक तार अभी जुड़ते नजर नहीं आ रहे हैं ऐसे में इस बात को कहना गलत होगा कि इन सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स को लेकर सरकार की राजनीति सामने आ रही है । इतिहास इस बात का चश्मदीद गवाह है कि ईस्ट इंडिया कंपनी कमाई तो भारत में करती रही लेकिन उसके नियम कायदे इंगलैंड के होते थे।

कंपनियों को मनमानी से रोक

सूत्रों से मिली जानकारी की माने तो यह सोशल मीडिया कंपनी कुछ इसी तरह व्यवहार कर रही है फेसबुक और ट्विटर हो या फिर कोई अन्य सोशल मीडिया कंपनी ईस्ट इंडियन कंपनी की तरह ही अपना व्यवहार कर रही है , क्योंकि यह सभी सोशल मीडिया कंपनी भारत सरकार द्वारा बनाए गए मामूली और जायज आदेश को भी मानने के लिए तैयार नहीं है यह वह भारत के अंदर ऐसा ऑफिस बनाएं ऐसे अधिकारी नियुक्त करें जिसे किसी शिकायत के निपटारे के लिए संपर्क सीधा किया जा सके इतनी बड़ी कंपनी के यह अपेक्षा नहीं की जा सकती है कि वह आपत्तिजनक पोस्ट पर तत्काल कार्यवाही करें और पारदर्शिता रूप से यह बताएं कि किसी आधार पर किसी के पोस्ट को ब्लॉक करता है। क्या संबंधित व्यक्ति को अपनी बात रखने का अधिकार नहीं होना चाहिए। उसकी सुनवाई नहीं होनी चाहिए।

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नहीं माने नियम तो क्या होगा ?

सोशल मीडिया को लेकर लोगों के दिमाग में कई तरह के प्रश्न उठ रहे हैं कि अगर इन कंपनियों ने सरकार की बातें नहीं मानी तो क्या खामियाजा भुगतना पड़ सकता है लोगों के फोन से टिक टॉक की तरह यह बड़े और जाने-माने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स भी हटा दिए जाएंगे? बरहाल इस पूरे मामले पर अधिकारी मानते हैं कि इन कंपनियों का भारत में बहुत बड़ा ग्राहक वर्ग है ऐसे में उन्हें थोड़ा वक्त मिल सकता है लेकिन बिना शर्त के नहीं वक्त इस चेतावनी के साथ दिया जाएगा अब नहीं माने तो निश्चित रूप से कार्यवाही करनी ही पड़ेगी वहीं इस पूरे मामले पर सूत्रों का कहना है कि अगर यह फ्लेटफॉर्म्स इन निर्देशों का पालन करने से पूरी तरह इंकार कर देता है तो वह कंपनी अपना इंटरमीडिएरीज का दर्जा खो देंगे और वे डिजिटल मीडिया की तरह हो जाएंगे।

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अगर इन कंपनियों को डिजिटल मीडिया की तरह माना जाने लगा तो इन्हें हर पोस्ट के लिए जिम्मेदार माना जाएगा और उन पर आधिकारिक रूप से कार्यवाही की जा सकेगी वहीं दूसरी ओर से डिजिटल मीडिया होने पर उन्हें भारत से अपना कारोबार भी समेटना पड़ सकता है क्योंकि डिजिटल मीडिया में विदेशी निवेश की सीमा कई प्रकार से अलग है।

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