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क्या है कबड्डी का इतिहास, कैसे शुरू हुआ यह खेल 

इस खेल का उद्भव प्राचीन भारत के तमिलनाडू में हुआ था. आधुनिक कबड्डी इसी का संशोधित रूप है, जिसे विभिन्न जगहों पर अन्य कई नामो से जाना जाता है. ये विश्वस्तरीय ख्याति सन 1936 में बर्लिन ओलिंपिक से मिली. सन 1938 में इसे कलकत्ता में राष्ट्रीय खेलों में सम्मिलित किया गया. सन 1950 में अखिल भारतीये कबड्डी फेडरेशन का गठन हुआ और कबड्डी खेले जाने के नियम मुक़र्रर किये गये. इसी फेडरेशन को ‘अमैच्योर कबड्डी फेडरेशन ऑफ़ इंडिया’ के नाम से सन 1972 में पुनर्गठित किया गया. इसका प्रथम राष्ट्रीय टूर्नामेंट चेन्नई में इसी साल खेला गया.

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कबड्डी को जापान में भी बहुत ख्याति मिली. वहाँ इस खेल को सुंदर राम नामक भारतीय सन 1979 में सबके सामने रखा. सुंदर राम उस समय ‘अमैच्योर कबड्डी’ के एशियाई फेडरेशन की जानिब से इस खेल को लेकर जापान गये थे. वहाँ उन्होंने लोगों के साथ मिल कर दो महीने तक इसका प्रचार किया. सन 1979 में इस खेल का भारत और बांग्लादेश के बीच का मुकाबला भारत में ही खेला गया. सन 1980 में इस खेल के लिए एशिया चैंपियनशिप का आग़ाज़ किया गया, जिसमे भारत ने बांग्लादेश को हरा कर इस टूर्नामेंट को जीता. इस टूर्नामेंट में इन दो देशों के अलावा नेपाल, मलेशिया और जापान भी थे. इस खेल को एशियाई खेल में सन 1990 में शामिल किया गया. इस दौरान इस खेल को बीजिंग में कई अन्य देशों के बीच मुकाबले के साथ खेला गया.

कबड्डी खेल की मुख्य विशेषता 

ये खेल दो दलों के बीच होता है. इसमें एक दल आक्रामक और दूसरा दल परिरक्षक के रूप में होता है. आक्रामक दल से एक एक करके खिलाड़ी परिरक्षक के क्षेत्र में परिरक्षकों को हराने के लिए आते हैं. परिरक्षकों द्वारा इस एक के बाद एक आते हुए परिरक्षकों को पकड़ना होता है। 

इस खेल में कुछ पॉइंट निम्न तरह से अर्जित किये जाते है –

  • बोनस पॉइंट : डिफेंडर के कोर्ट में छः या छः से अधिक खिलाड़ियों की मौजूदगी में यदि रेडर बोनस लाइन तक पहुँच जाता है तो रेडर को बोनस पॉइंट मिलता है.
  • टच पॉइंट : रेडर द्वारा एक या एक से अधिक डिफेंडर खिलाड़ियों को छू कर सफलता पूर्वक अपने कोर्ट में वापस आ जाने पर टच पॉइंट मिलता है. ये टच पॉइंट छुए गये डिफेंडर खिलाड़ियों की संख्या के बराबर होता है. छुये गये डिफेंडर खिलाडियों को कोर्ट से बहार कर दिया जाता है.
  • टैकल पॉइंट : यदि एक या एक से अधिक डिफेंडर, रेडर को 30 सेकंड तक डिफेंड कोर्ट में ही रहने पर मजबूर कर देते हैं, तो डिफेंडिंग टीम को इसके बदले एक पॉइंट मिलता है.
  • आल आउट : यदि किसी टीम के सभी खिलाडियों को उसकी विरोधी टीम पूरी तरह से आउट करके मैदान से बाहर करने में सफ़ल हो जाती है, तो इसके एवज में जीती हुई टीम को 2 अतिरिक्त बोनस पॉइंट मिल जाते है.
  • एम्प्टी रेड : बौकल लाइन को पार करने के बाद यदि रेडर बिना किसी डिफेंडर को छुए या बिना बोनस लाइन को छुए वापस आ जाता है, तो इसे एम्प्टी रेड माना जाएगा. एम्प्टी रेड के दौरान किसी भी टीम को कोई पॉइंट नहीं मिलता.
  • डू ओर डाई रेड : यदि किसी टीम द्वारा लगातार दो एम्प्टी रेड हो जाता है तो तीसरे रेड को ‘डू ओर डाई’ रेड कहा जाता है. इस रेड के दौरान टीम को आवश्यक तौर पर या तो बोनस या टच पॉइंट अर्जित करना पड़ता है. ऐसा नहीं करने पर डिफेंडर टीम को एक अतिरिक्त पॉइंट मिलता है.
  • सुपर रेड : जिस रेड में रेडर तीन या तीन से अधिक पॉइंट अर्जित करता है, उस रेड को सुपर रेड कहा जाता है. ये तीन पॉइंट बोनस और टच को मिला कर भी हो सकता है या सिर्फ टच पॉइंट भी हो सकता है.
  • सुपर टैकल : यदि डिफेंडर टीम में खिलाड़ियों की संख्या तीन या तीन से कम हो जाती है, और वो टीम किसी रेडर को सँभालने और आउट करने में सफ़ल हो जाती है तो इसे सुपर टैकल कहते हैं. सुपर टैकल के लिए डिफेंडर टीम को एक अतिरिक्त पॉइंट भी मिलता है. इस पॉइंट का इस्तेमाल आउट हुए खिलाडी के पुनर्जीवन के लिए नहीं किया जा सकता है.

कबड्डी का इतिहास 

कबड्डी का इतिहास (Kabaddi History In Hindi) भारत से जुड़ा हुआ है। ऐसा माना जाता है कि कबड्डी की शुरुआत भारत में हुई है। भारत का तमिलनाडु राज्य में कबड्डी की उत्पत्ति मानी जाती है। क्रिकेट प्रेमी भारत में कबड्डी को लोकप्रिय होने में समय लगा है।

1. आजादी से पहले 1915 के आसपास महाराष्ट्र में इस खेल को प्रोफेशनल तरीके से खेला गया था। महाराष्ट्र में उस वक्त कबड्डी को खेलने के नियम बनाये गए थे। पहले कबड्डी केवल राष्ट्रीय स्तर पर ही खेला जाता था। वर्ष 1938 में कबड्डी राष्ट्रीय खेलों का हिस्सा बनी थी।

2. वर्ष 1980 में फर्स्ट एशियन कबड्डी चैंपियनशिप खेली गई थी। इस चैंपियनशिप में भारत ने बांग्लादेश को हराकर जीत हासिल की थी।

3. वर्ष 1950 में अखिल भारतीय कबड्डी फेडरेशन का गठन हुआ था।

4. वर्ष 1970 के एशियन गेम में कबड्डी को शामिल किया गया था। एशियन गेम्स में हर बार गोल्ड मेडल भारत ने ही जीता है।

5. कबड्डी का पहला वर्ल्डकप वर्ष 2004 में खेला गया था। भारत ने कबड्डी के अभी तक के सारे वर्ल्डकप जीते है।

6. कबड्डी (Kabaddi) भारत, पाकिस्तान, बांग्लादेश, ईरान, श्रीलंका, जापान इत्यादि देशों में ज्यादा प्रसिद्ध है। वैसे इस खेल से एशिआई देश ज्यादा जुड़े हुए है लेकिन कनाडा, ब्रिटेन जैसे देश भी अब कबड्डी खेलने लगे है।

7. वर्तमान में भारत में प्रो कबड्डी लीग का आयोजन होता है। इस लीग ने कबड्डी को घर घर तक पहुचाने का कार्य किया है।

8. कबड्डी खेल को महिलाओं के बीच भी खेला जाता है। वर्ष 2012 में कबड्डी का पहला महिला वर्ल्डकप खेला गया था। भारत की पुरुष और महिला टीम ने विश्व कबड्डी में अपना दबदबा बनाया है।

9. कबड्डी का खेल बांग्लादेश का राष्ट्रीय खेल भी है।

10. कबड्डी का मूल भाव होता है “हाथ थामे रहना”।  इस खेल में पूरी टीम का एफर्ट होता है। खिलाड़ी आपस में हाथ पकड़कर खड़े रहते है।

11. इस खेल को उत्तर भारत में कबड्डी, तमिलनाडु में चादुकट्टू, पूर्व में हु तू तू, पंजाब में कुड्डी कहते है।

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कबड्डी को कब शामिल किया गया

कबड्डी को राष्ट्रीय स्तर की पहचान दिलाने में महाराष्ट्र का प्रमुख योगदान रहा है ! जिसकी वजह से 1918 में इसे राष्ट्रीय दर्जा मिला ! 1950 में All India Kabaddi Federation की स्थापना की गयी ! और 1954 में पहली बार नई दिल्ली में राष्ट्रीय चैंपियन शिप आयोजित की गयी ! इस खेल को सबसे पहले 1936 में ओलम्पिक में शामिल किया गया और भारत ने इसे दुनिया को दिखाया इसके बाद ये दुनिया भर में फैला ! 1972 में अमैच्वर कबड्डी Federation और 1978 में एशियन अमैच्वर Federation की स्थापना की गई !

इसके बाद कोलकाता में 1980 में गेम चैंपियन शिप में शामिल किया गया, भारत एशिया का सरताज बना इसके बाद 1990 में चीन में आयोजित एशियन गेम्स में शामिल किया गया ! तब से लेकर 2010 तक सभी आयोजित एशियन गेम्स में भारत ने गोल्ड मेडल सभी अपने नाम किया है ! 2010 के ग्वामू (चीन) एशियन गेम्स में भारतीय महिला कबड्डी टीम ने भी गोल्ड मेडल जीता !

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