
कोरोना ने छीनी रोजी-रोटी, रोड एक्सीडेंट ने ली पिता-पुत्र की जिंदगी
देशभर में कोरोना कहर तेजी से बढ़ता जा रहा है। संक्रमण को रोकने के लिए रायपुर में 26 अप्रैल तक लाकडाउन लगाया गया। जिसके कारण राजधानी रायपुर के टिकरापारा स्थित एक ज्वेलरी शॉप बंद होने से वहां काम कर रहे कारीगर सुमित का कामकाज ठप हो गया था। लेकिन कोरोना के बचाव में पिता को इस बात का अन्दाजा नहीं था कि रोड एक्सीडेंट में उनकी जान भी जा सकती है।
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रोजी-रोटी और पैसे की तंगी को लेकर चितिंत सुमित ने सपने में नहीं सोचा होगा कि गृहग्राम जाते समय भयंकर हादसे का शिकार हो जाएगा। आपको बता दें गुरुवार की रात में पश्चिम बंगाल के लिए कार से अपने सात साल के बेटे आयुष, पत्नी टीना, भाई तापस समेत कुछ रिश्तेदारों के साथ रवाना हुए थे। सुमित महासमुंद जिले के सिंघोड़ा इलाके में सड़क हादसे में एक्सीडेंट का शिकार हो गए। ट्रक की टक्कर से कार के परखच्चे उड़ गए।

इस हादसे में ड्राइविंग सीट के बगल में बैठे सुमित और सात साल के बेटे आयुष की सिर में गंभीर चोट लगने से मौके पर ही मौत हो गई। जबकि पत्नी टीना, भाई संजीत, सुमित के दो साले आदित्य और गोपाल के अलावा इनोवा कार का ड्राइवर प्रभुदास घायल गंभीर रूप से घायल हो गए।
भाई-भतीजे की मौत
सुमित के भाई तापस जाना ने इस दर्दनाक हादसे के बारे में जानकारी देते हुए बताया लाकडाउन के कारण दुकाने बंद होने से रोजी-रोटी छिन गई थी। इसलिए भइया के साथ हम सभी पश्चिम बंगाल के मेदिनीपुर जाने किराए पर इनोवा समेत दो कार ली थी। सुमित की इनोवा कार के पीछे मैं होंडा अमेज कार में अपनी पत्नी और बच्चों के साथ था।
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महासमुंद के आगे रूदेश्वरी मंदिर को पार कर ही रहे थे, तभी रॉन्ग साइड से सड़क पर ट्रक नजर आया। वो हमारी तरफ बढ़ रहा था, लगा कि सड़क पर जगह है वो निकल जाएगा, मगर उसने सामने से इनोवा को जोरदार टक्कर मार दी। ट्रक की रफ्तार इतनी तेज थी कि हादसे के बाद ट्रक डिवाइडर के उपर चढ़ गई, अंधेरे का फायदा उठाकर ट्रक का ड्राइवर भाग गया। भाई सुमित और भतीजे के शरीर में कोई हरकत नहीं थी, पुलिस की मदद से मैंने उन्हें गाड़ी से बाहर निकाला, लेकिन दोनों की मौत हो चुकी थी।