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यौन उत्पीड़न निवारण समितियों का गठन न होने पर महिला आयोग ने जताई नाराज़गी

उत्तराखंड : राज्य महिला आयोग ने राज्य के मुख्य सचिव को राज्य भर में अब तक गठित समितियों की कुल संख्या का विवरण प्रदान करने के लिए कहा है।

 

महिला आयोग ने कहा कि उत्तराखंड भर में विभिन्न सरकारी और गैर-सरकारी संगठन महिला कर्मचारियों के लिए यौन उत्पीड़न निवारण समितियाँ बनाने में विफल रहे हैं ।

 

उत्तराखंड राज्य महिला आयोग (यूएससीडब्ल्यू) ने मुख्य सचिव सुखबीर सिंह संधू को पत्र भेजकर कहा है कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश के अनुसार स्कूलों, विश्वविद्यालयों, गैर सरकारी संगठनों आदि जैसे हर संगठन में कामकाजी महिलाओं के अधिकारों की रक्षा के लिए यौन उत्पीड़न रोकथाम समितियों का गठन अनिवार्य है।

 

आयोग ने कहा कि उत्तराखंड में कई जगहों से उन्हें शिकायतें मिली हैं कि कई सरकारी और गैर सरकारी संगठन में ऐसी कोई भी समिति नही बनाई गई है।

 

जहाँ समितियां बनी भी है वहाँ नियमित बैठकें आयोजित करने और अन्य नियमों का पालन नहीं किया जा रहा है।जो कि काफी निराशाजनक है।

इस तरह के रवैये को दखते हुए महिलायें खुद को सुरक्षित नहीं महसूस करती। काम पर आने से भी कतराती है। इसलिए ऐसे समितियों का हर कार्यालय में होना बेहद जरुरी है। जिससे महिलाओं  का आत्मबल बढ़े। बिना किसी डर  के वे काम कर सकें।

 

महिला आयोग की अध्यक्ष विजय बर्थवाल ने इसे गंभीर चिंता और सर्वोच्च न्यायालय के निर्देशों का घोर उल्लंघन बताते हुए मुख्य सचिव से सितंबर तक उत्तराखंड के विभिन्न संगठनों में पिछले तीन वर्षों की समितियों के संबंध में सभी विवरण उपलब्ध कराने को लेकर पत्र लिखा है।

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