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स्कूल खुलने के साथ बदली पैरेन्ट्स की लाइफस्टाइल, खुद कर रहे बच्चों को स्कूल ड्रॉप

लाइफस्टाइल:  कोरोना वायरस की दूसरी लहर का कहर थमने के बाद विभिन्न राज्य सरकारों ने स्कूल खोलने का फैसला किया। कई राज्यों में छठवीं से 12वीं तक स्कूल खुल गए हैं।

हालांकि कोरोना वायरस के डर से छठवीं से 8वीं तक (लाइफस्टाइल) के बच्चे अधिकांश स्कूलों में अभी आना शुरू नहीं हुआ है। अभी भी स्कूल बस से कुछ पैरेन्ट्स बच्चों के आने-जाने को सेफ नहीं मान रहे हैं, ऐसे में पेरेंट्स खुद ही बच्चों को लेने-छोडऩे जा रहे हैं।

हालांकि लगातार डेढ़ साल तक घर में रहने से बच्चों के साथ पैरेन्ट्स का शेड्यूल भी बदल गया था। वहीं वर्र्किंग कपल ने अपनी-अपनी जिम्मेदारियां बांट ली है। कोई बच्चों को स्कूल छोडऩे जा रहा है तो कोई लेने।

कई स्कूलों की प्रिंसिपल ने कहा कि अभी 6 से 8वीं तक छात्र स्कूल नहीं आ रहे हैं, मगर वो भी सोमवार से आने लगेंगे। लन्च सेशन बच्चों का क्लास में उनकी डेस्क पर होता है।

फिलहाल स्कूलों में आउटडोर गेम्स जैसी एक्टिविटी तो नहीं हो रही है। स्कूल आकर स्टूडेंट्स भी खुश हैं। अभी स्कूल बस से 40 बच्चे आ रहे हैं तो कुछ पैरेन्ट्स अपने बच्चों को खुद ही स्कूल छोडऩे आ रहें हैं।

वहीं, मनोचिकित्सक डॉ. सत्यकांत त्रिवेदी ने बताया कि पैरेन्ट्स का कंसर्न स्कूल भी चाहते हैं। ऑनलाइन क्लासेस पिछले डेढ़ साल से चल रही है तो अब अपना कंफर्ट जोन पैरेन्ट्स ने बना लिया है। वे अब इससे बाहर नहीं आना चाहते, यदि बच्चे स्कूल जाएंगे तो अपना डेली रूटीन बदलकर पेरेंट्स को भी पहले की तरह करना होगा।

अब माता-पिता की ये सोच बन गई है कि स्कूल क्यों भेजना जब ऑनलाइन क्लासेस चल ही रही हैं। यदि बच्चों को गार्डियन स्कूल छोड़कर आते भी हैं तो बच्चों की पढ़ाई ऑनलाइन क्लास के चलते नुकसान आगे कम ही है।

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