राखी के धागे के सहारे शिक्षामित्र पीएम और सीएम को दिलाएंगे उनके वादों की याद
लखनऊ : राखी के धागे के सहारे प्रदेश भर के शिक्षामित्र अब अपने हक की लड़ाई लड़ेंगे। महिला शिक्षामित्रों से आदर्श शिक्षामित्र वेलफेयर एसोसिएशन ने अपील की है कि वे प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री को राखी भेजकर शिक्षामित्रों के लिए संकल्प पत्र में किए गए उनके वादों की याद दिलाएंगी।
आदर्श शिक्षामित्र वेलफेयर एसोसिएशन ने कहा कि, महंगाई चरम सीमा पर है। घर में बुजुर्ग माता-पिता, लड़कियों और लड़कों की शिक्षा, शादी और दवा तक के लिए शिक्षामित्रों को दिक्कतों का सामना करना पड़ा रहा है। एसोसिएशन के प्रदेश अध्यक्ष जितेंद्र शाही ने कहा कि बीजेपी सरकार ने अपने संकल्प पत्र में शिक्षामित्रों को उनका अधिकार दिलाने का वादा किया था। करीब 50 हजार महिला शिक्षामित्र अब उसी वादे को पूरा करने के लिए पीएम और सीएम को राखी भेजेंगी।
एसोसिएशन की मांग है कि सरकार शिक्षा मित्रों को शिक्षक पद पर समायोजन और एक जैसा काम, एक जैसा वेतन लागू करने को लेकर अध्यादेश लाए। साथ ही एक नियमावली बनाए जिसमे 62 साल की उम्र तक सेवा करने की इजाजत हो। शिक्षक छात्र अनुपात के आधार पर शिक्षामित्रों की गणना की जाए। उन्हें 14 आकस्मिक और चिकित्सीय अवकाश दिए जाएं। मायके में वर्षों से शिक्षण कर रही महिला शिक्षामित्रों को उनके ससुराल वाले जिले में नियुक्त किया जाए।
महानिदेशक स्कूल शिक्षा और राज्य परियोजना निदेशक अनामिका सिंह ने शिक्षामित्रों का जुलाई का मानदेय जारी किया है। उन्होंने बेसिक शिक्षा अधिकारियों की मानदेय का भुगतान सभी के खातों में को भेजे जाने का आदेश दिया।
कुछ वक्त पहले ही प्रदेश सरकार ने 14 साल बाद अवकाश नियमावली में बदलाव कर साल में 11 दिन का आकस्मिक अवकाश शिक्षामित्रों को दिया गया। लगभग 1.53 लाख शिक्षामित्र उत्तर प्रदेश बेसिक शिक्षा परिषद के प्राथमिक विद्यालयों में संविदा पर तैनात हैं। इतने ही आकस्मिक अवकाश साल के 11 महीने की सेवा में उन्हें दिए जाए। परेशानी इस बात की थी कि वे महीने में सिर्फ एक आकस्मिक छुट्टी ले सकते थे।
मतलब शिक्षामित्रों के बीमार होने, चोटिल होने या किसी दूसरे कारण से विद्यालय न जाने पर उन्हें दिए जाने वाले वेतन में कटौती की जाती थी। प्राथमिक शिक्षकों की तरह शिक्षामित्र को आकस्मिक अवकाशों की संख्या में वृद्धि कर 14 दिन करने की मन बहुत waqt से हो रही थी। महानिदेशक स्कूल शिक्षामित्र विजय किरन आनंद ने 21 जून को शासन को आदेश भेजा था।