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पूरा देश दे रहा अटल बिहारी वाजपेयी को श्रद्धाजंलि, जानिए उनके बारे में खास बातें

मैं जी भर जिया, मैं मन से मरूं, लौटकर आऊंगा, कूच से क्यों डरूं? देश के पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी अपनी कविता की तरह ही थे। राजनीति के साथ अटल जी को कविताओं में भी महारत मिली थी। आज उनकी तीसरी पुण्यतिथि पर पूरा देश उन्हें भावभीनी श्रद्धांजलि दे रहा है। आइए इस मौके पर अटल बिहारी से जुड़ी खास बातें जानते हैं।

अटल बिहारी के बारे में खास बातें

भारतीय जनता पार्टी ने उनके निधन के बाद उनकी अस्थियों को देश की 100 नदियों में प्रवाहित किया था और इसकी शुरुआत हरिद्वार में गंगा में विसर्जन के साथ हुई थी। अटल बिहारी वाजपेयी और लालकृष्ण आडवाणी ने भारतीय जनता पार्टी की स्थापना की थी। इसके बाद तो भारतीय राजनीति में ये दोनों एक नाम हो गए ‘अटल-आडवाणी’। वह लता मंगेशकर के पारिवारिक दोस्त रहे हैं। लता मंगेशकर ने उनसे जुड़ा राज यतींद्र मिश्र की किताब ‘लता सुरगाथा’ में शेयर किया है।

किसी भी विषय पर धाराप्रवाह बोलने की क्षमता का हर कोई मुरीद था। पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी हों या उनके पुत्र युवा प्रधानमंत्री राजीव गांधी से अटलजी को काफी सम्मान मिला। वह उन चुनिंदा नेताओं में शामिल हैं, जिनकी स्वीकार्यता सभी सियासी दलों में है। क्योंकि अटल जी राजनीति में शुचिता और पारदर्शिता के समर्थक थे। पूर्व प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने अटल बिहारी से प्रभावित होकर कहा था कि, वो एक दिन देश के प्रधानमंत्री जरूर बनेंगे। बाद में जाकर उनकी यह बात सही साबित हुई।

अटल बिहारी वाजपेयी को प्रकृति से लगाव था। उन्हें पहाड़ पर छुट्टी बिताना काफी अच्छा लगता। हिमाचल का मनाली उनकी पसंदीदा जगहों में से एक था। उन्होंने अपने पिता के साथ कानपुर में एल.एल.बी. की पढ़ाई आरंभ की, लेकिन पढ़ाई को बीच में ही छोड़ संघ के कार्य में जुट गए। वाजपेयी सरकार ने 11 और 13 मई 1949 को पोखरण में 5 भूमिमत परमाणु विस्फोट करके भारत को परमाणु शक्ति संपन्न देश घोषित कर दिया था।

अटल बिहारी वाजपेयी को 2014 में देश के सर्वोच्च सम्मान भारत रत्न से सम्मानित किया गया था। वो पहली बार 1996 में प्रधानमंत्री बने और उनकी सरकार सिर्फ 13 दिनों तक ही चल पाई थी। साल 1998 में दूसरी बार प्रधानमंत्री बने, तब उनकी सरकार 13 महीने तक चली थी। 1999 में वो तीसरी बार प्रधानमंत्री बने और 5 सालों का कार्यकाल पूरा किया। वाजपेयी का लंबी बीमारी के बाद 16 अगस्त, 2018 को अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) में निधन हो गया। वह 93 वर्ष के थे।

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