दीनदयाल विकलांग पुनर्वास योजना
दीनदयाल विकलांग पुनर्वास योजना
पूरी दुनिया में कई ऐसे लोग होते हैं जो की पैदाइशी विकलांग होते हैं। इस कठिन समय में उनका जीवन बसर करना भी बहुत मुश्किल हो जाता है। हमारे भारत देश में इन्हीं विकलांग लोगों को दिव्यांग बोलने की परंपरा हमारे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुरू की है। इससे सभी दिव्यांगों को आदर देने में मदद मिलेगी। लेकिन इसी के साथ भारत में इन लोगों की मदद करना बाकी लोगों की मदद करने से कहीं ज्यादा कठिन होता है। इसी के साथ उनको पढ़ाना या फिर नौकरी दिलाने जैसे अवसरों को प्रदान करवाना कठिन होता जाता है इसीलिए हमारे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सभी दिव्यांग जनों के लिए ऐसी योजना निकाली है जोकि उनके लिए बहुत ही फायदेमंद होने वाली है। अगर आप ही इस योजना के बारे में जानना चाहते हैं तो आज हम आपको इसी योजना के बारे में पूरी जानकारी देने वाले हैं जिसका नाम दीनदयाल विकलांग पुनर्वास योजना है। इस योजना की मदद से विकलांग जनों को काफी मदद प्रदान की जाएगी जिसकी वजह से सरकार का यह कार्य बहुत ही सराहनीय है।
क्या है योजना?
देश की जनता में कई लोग शुमार होते हैं जिनमें से कई लोग ऐसे होते हैं जो कि किसी तरीके से शारीरिक या मानसिक तौर पर अपंग होते हैं। इन्हीं लोगों को पूरे देश में समान अवसर प्राप्त करवाने के लिए और इनके लिए देश में एक अच्छा वातावरण बनाने के लिए इस योजना की शुरूआत की गई है।
यानी कि मुख्य तौर पर देश में दिव्यांग जनों के सशक्तिकरण के लिए दीनदयाल विकलांग पुनर्वास योजना का आरंभ किया गया था। डीडीआरएस यानी की दीन दयाल डिसेबल्ड रिहैबिलिटेशन स्कीम की शुरुआत भारत में 1999 में की गई थी। इसके बाद इस योजना का आरंभ तो हुआ लेकिन इसमें सही काम नहीं हुआ जिसकी वजह से 2003 में एक बार फिर से इस योजना में कुछ बदलाव किए गए थे।
इस बात से हर कोई अवगत है कि इसके बाद भी देश में विकलांग जनों की हालत इतनी अच्छी नहीं थी। 2018 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक बार फिर से इस योजना को बहुत ही जोरों शोरों से शुरू किया। इस बार इस योजना की शुरुआत बड़े तौर पर की गई ताकि भारत देश के सभी दिव्यांगजन इसका फायदा उठा सकें और इस योजना से मिलने वाले लाभों को अवसरों में बदल सके।
भारत देश की इस महत्वाकांक्षी योजना के जरिए हमारे प्रधानमंत्री देश में दिव्यांग जनों के लिए एक अच्छा वातावरण उत्पन्न करना चाहते हैं।इसी के साथ दीनदयाल विकलांग पुनर्वास योजना के तहत जागरूकता फैला कर सभी को समान अवसर भी दिलाना चाहते हैं।हमारे सामजिक स्थिति में एक विकलांग को अपनी पहचान के लिए हमेशा ही संघर्ष से गुजरना पड़ता है। इस योजना के तहत सभी दिव्यांगजन अपने सपने पूरे कर पाएंगे और समाज में सम्मान भी प्राप्त कर सकेंगे।
भारत सरकार के सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय, दिव्यांगजन सशक्तिकरण विभाग द्वारा दीनदयाल विकलांग पुनर्वास योजना (DDRS) की शुरुआत की गई थी।
किसको मिलता है योजना से लाभ और कौन करेगा काम?
साल 2011 के सेंसस के अनुसार भारत देश में 121 करोड़ लोगों की जनता में करीबन 3 करोड की जनता दिव्यांग थी। इन सभी में से ज्यादातर 6 साल तक के बच्चों में दिव्यांग थे। इसी पर काम करने के लिए इस योजना का गठन हुआ था। इस योजना में मुख्य तौर पर सभी दिव्यांगों को लाभ मिलता है। इस योजना के अनुसार भारत की सरकार भारत में करीबन 600 गैर सरकारी संगठनों को दिव्यांग जनों की सहायता के लिए रखेगी। भारत कि सरकार इन सभी गैर सरकारी संगठनों को स्वयं अनुदान प्रदान करेगी।इस योजना के तहत केंद्र द्वारा 90% तक अनुदान की राशि मिल सकती है। लेकिन किसी भी गैर सरकारी संगठन को इस योजना के तहत कार्य करने के लिए कुछ पैमानों पर खरा उतरना होगा। सभी गैर सरकारी संगठनों को कम से कम 2 वर्षों का रजिस्ट्रेशन होने के साथ-साथ जिला समाज कल्याण अधिकारी और राज्य सरकार से सिफारिश की आवश्यक की आवश्यकता होती है।
क्या हैं योजना की विशेष बातें?
नीचे दिए हुए कुछ मुख्य बातें इस योजना के विशेष है –
1.दीनदयाल डिसेबल्ड रिहैबिलिटेशन स्कीम यानी की दीनदयाल विकलांग पुनर्वास योजना (DDRS) केंद्र सरकार द्वारा वित्त पोषित एक कार्यक्रम है|
- इस योजना में भारत में एनजीओ यानी कि गैर सरकारी संगठन अर्थात नॉन गवरमेंटल ऑर्गेनाइजेशन को दिव्यांग जनों की सहायता के लिए सरकार के द्वारा अनुदान दिया जाता है।
3.दीनदयाल विकलांग पुनर्वास योजना के माध्यम से प्रति वर्ष लगभग 600 एनजीओ (NGOs) को अनुदान प्रदान किया जाता है। - यह फंड राज्य की सरकारों और सभी जिला अधिकारियों की मदद से ही गैर सरकारी संगठनों को दिया जाता है।
5.इस योजना के तहत 90% तक अनुदान की राशि मिल सकती है। इस राशि को सभी दिव्यांग जनों की सहायता के लिए दिया जाएगा।
6.वित्त पोषित किए जा रहे एनजीओ हर साल 35000 से 40000 से अधिक लाभार्थियों को पुनर्वास प्रदान कर रहे हैं।
7.दिव्यांगजनों के लिए ट्रेन, बस के पास और टिकट की सही व्यवस्था भी की जाती है। - सभी विकलांगों के लिए चिकित्सा शिविर लगाए जाते हैं।
9.सहायक उपकरणों के उपयोग और उपचारात्मक सेवाओं के संबंध में विकलांग व्यक्तियों को
प्रशिक्षित किया जाता है। - विकलांगों के लिए पुनर्वास केंद्रों की स्थापना भी करवाई जाती है।
क्या हैं योजना के मुख्य लक्ष्य?
वैसे तो सभी के लिए दिव्यांगों का ख्याल रखना आवश्यक होता है क्योंकि यह भी हमारे भाई बंधु ही है। लेकिन यह योजना मुख्य तौर पर इन्हीं के लिए काम करती है और इसी की वजह से इसके कुछ मुख्य लक्ष्य है –
1.विकलांगता की रोकथाम
लोगों में विकलांगता क्यों होती है इस चीज का पता लगाना और फिर उसके बाद इसको रोक नहीं सरकार का प्रथम लक्ष्य माना गया है। जिस प्रकार भारत में पोलियो की वजह से लोग इसका शिकार हो रहे थे और बाद में उन्हें ड्रॉप्स की मदद से ठीक किया गया। उसी प्रकार भारत में हर प्रकार के विकलांगता को रोकना इसका लक्ष्य है।
2.विकलांग व्यक्तियों के लिए विकलांगता प्रमाण पत्र, बस पास और अन्य रियायत और बाकी सुविधाएँ उपलब्ध करवाना।
सभी दिव्यांग जनों के लिए उनकी सामान्य आवश्यकताओं को मुहैया करवाना भी सरकार का कार्य है।
3.स्वरोजगार हेतु बैंक एवं अन्य वित्तीय संस्थाओं के माध्यम से ऋण की व्यवस्था करना। इसकी मदद से जो दिव्यांग अपने पैरों पर खड़े होकर अपने सपने पूरे करना चाहते हैं उनको उड़ान मिलेगी। हर दिव्यांग अपने सपने पूरे करने में सक्षम हो पाएगा।
4.विकलांगों को समाज में समान सम्मान और सुरक्षा दिलवाना। वैसे तो सम्मान समाज में हर किसी का अधिकार होता है लेकिन कई दिव्यांग जनों को इससे वंचित रहना पड़ता है। सरकार का यही लक्ष्य है कि वह है सभी दिव्यांग जनों को हमारे समाज में सम्मान भी दिलवा सके।
फिलहाल तो भारत देश में दिव्यांग जनों की स्थिति अभी भी वैसी ही लगती है। पहले से कुछ सुधार देखने को तो मिलता है लेकिन वह अभी भी सम्मान नहीं प्राप्त कर पा रहे हैं। इसके लिए देश में सभी को मिलकर कार्य करना होगा क्योंकि वह भी हमारे समाज का ही एक अभिन्न अंग है।