
आईआईटी में आरक्षण नीतियों का उल्लंघन? सुप्रीम अदालत ने केंद्र को नोटिस भेजकर मांगा जवाब
सुप्रीम अदालत ने बुधवार को एक याचिका पर केंद्र और सभी भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) को नोटिस जारी किया। याचिका में शोध डिग्री कार्यक्रमों में प्रवेश और प्रोफेसरों की भर्ती में आरक्षण नीतियों का पालन करने के निर्देश देने की मांग की गई है।
जस्टिस एल नागेश्वर राव, बीआर गवई और बीवी नागरथाना की पीठ ने आरक्षण नीति का पालन न करने का आरोप लगाने वाली याचिका पर केंद्र और सभी आईआईटी से जवाब मांगा। सच्चिदा नंद पांडे ने याचिका दायर कर आरक्षण नियमों का उल्लंघन करने और पारदर्शी भर्ती नीति बनाने के लिए अक्षम प्रोफेसरों की नियुक्ति रद्द करने के निर्देश देने की मांग की थी।
छात्रों/विद्वानों की शिकायतों के निवारण के लिए एक तंत्र स्थापित करने और शोध की समीक्षा करने और मौजूदा प्रोफेसरों के प्रदर्शन की समीक्षा करने के लिए तकनीकी विशेषज्ञों की एक समिति गठित करने का भी प्रयास किया गया है। याचिका में कहा गया है कि आईआईटी द्वारा शोध कार्यक्रम में प्रवेश और प्रोफेसरों की नियुक्ति की प्रक्रिया पूरी तरह से असंवैधानिक, अवैध और मनमानी है।
याचिका में यह भी कहा गया है कि IIT संवैधानिक आदेश के अनुसार आरक्षण दिशानिर्देशों का पालन नहीं कर रहा है।याचिका में आरोप लगाया गया है कि “आईआईटी प्रोफेसरों की भर्ती में पारदर्शी प्रक्रियाओं का पालन नहीं करते हैं। इससे भ्रष्टाचार, पूर्वाग्रह और भेदभाव की संभावना बढ़ जाती है। यह देश की आंतरिक रैंकिंग और प्रौद्योगिकी के विकास को प्रभावित करता है।”