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उत्तराखंड के लोक गायक किशन सिंह पवार का निधन , 70 वर्ष में ली अंतिम सांस

उत्तरकाशी : उत्तराखंड(Uttarakhand) के जिला उत्तरकाशी(Uttarkashi) के सुप्रसिद्ध लोक गायक किशन सिंह पवार का देहरादून में निधन हो गया। किशन सिंह उत्तरकाशी(Kishan Singh Uttarkashi) के राजकीय इंटर कालेज गंगोरी में चित्रकला के अध्यापक के पोस्ट पर कार्यरत थे, शिक्षण कार्य के साथ सृजन और एक पहाड़ी लोकगीतों को गाने का अंदाज किशन सिंह पंवार को प्रदेश में अलग पहचान दी. लोक गायक ओम बदानी ने किशन सिंह के बारे में बोलते हुए कहा कि, ”पहाड़ के वास्तविक लोक गीत के गीतकार के एक युग का अंत हुआ है। लोक गायकी में तमाम यश और ख्याति मिलने के बाद भी किशन सिंह पंवार ने अंतिम समय तक अपना ठेठ पहाड़ीपन नहीं छोड़ा है।”

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संगीत प्रेमियों के मन पर छोड़ी अलग छाप

लोक गीत में रूचि रखने वाले संगीत प्रेमियों के मन किशन सिंह पंवार के गीतों ने हमेशा ही एक अलग छाप छोड़ी है. उनके गीत आज भी प्रासंगिक हैं और लोक समाज को संदेश देने वाले हैं। तंबाकू निषेध को लेकर किशन सिंह पंवार ने 90 के दशक में ,”न पे सफरी तमाखू. त्वैन जुकड़ी फुंकण” गीत काफी लोकप्रिय हुआ।

राजनीति पर व्यंग्य करते हुए गीत गाए

अलावा राजनीति पर व्यंग्य करता हुआ गीत ‘यूं आंख्यों न क्या-क्या नी देखी.’, खास है। किशन सिंह पंवार के ‘कै गऊं की होली छोरी तिमलू दाणी.’ ‘न प्ये सपुरी तमाखू.’, ‘ऋतु बौडी़ ऐगी.’, ‘बीडी़ को बंडल.’ जैसे उनके गीत कालजयी बन गए।

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किशन सिंह पवार ने अस्पताल में ली अंतिम सांस

टिहरी गढ़वाल के प्रतापनगर प्रखंड में रमोली पट्टी के नाग गांव में जन्मे किशन सिंह पंवार ने 70 साल की उम्र में देहरादून के अस्पताल में अंतिम सांस ली। किशन सिंह पंवार के निधन पर प्रसिद्ध लोक गायक नरेंद्र सिंह नेगी, जागर सम्राट प्रीतम भरतवाण, उत्तरकाशी संवेदना समूह के अध्यक्ष जयप्रकाश राणा, लोक गायिका मीना राणा अनुराधा निराला ने शोक व्यक्त किया है।

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