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उत्तराखंड: गंगा का पानी हुआ पीने के लायक, शोध में हुआ खुलासा

गंगोत्री से लेकर ऋषिकेश तक गंगा का जल हुआ निर्मल। डॉ. शंभू नौटियाल ने किया शोध। कोविड कर्फ्यू की वजह से गंगा हुई निर्मल।

देहरादून। मोदी सरकार की गंगा नदी के पानी को साफ करने की योजना रंग लाती नज़र आ रही है। उत्तराखंड में गंगोत्री से लेकर ऋषिकेश तक गंगा जल की निर्मलता और स्वच्छता के सकारात्मक परिणाम सामने आने शुरू हो गए हैं। सूत्रों के अनुसार गंगोत्री से लेकर ऋषिकेश तक गंगा का जल पीने के उपयुक्त पाया गया है। उत्तरकाशी निवासी शिक्षक डॉ. शंभू नौटियाल ने अपने शोध में इसका खुलासा किया। इसके लिए डॉ. शंभू नौटियाल उत्तरकाशी में अपने घर पर लैब भी स्थापित की है।

डॉ. शंभू नौटियाल ने गंगोत्री से लेकर उत्तरकाशी तक गंगा पूरी तरह से स्वच्छ और निर्मल होने का मुख्या कारण कोविड कर्फ्यू और गत वर्ष के लॉकडाउन को बताया है। बता दें, डॉ. शंभू नौटियाल ने अपनी पीएचडी भी गंगा के अध्ययन पर की है। अगर हम गंगा नदी की बात करें तो गंगा जल को जीवन एवं संस्कृति का आधार माना गया है। वहीँ आस्था में गंगा नदी का महत्व और मान्यता दोनों ही बढ़ जाता है। उत्तरकाशी-गंगोत्री क्षेत्र में गंगा की अविरलता और निर्मलता आस्था को और अधिक बढ़ा देती है।

डॉ. शंभू नौटियाल ने मीडिया से वार्ता में बताया कि उन्होंने गंगोत्री, उत्तरकाशी तथा ऋषिकेश से गंगा जल के नमूने संग्रह कर कोविड काल में उसका परीक्षण किया। सभी संग्रह नमूने स्वीकार्य सीमा और अनुमेय सीमा के अधीन पीने व नहाने योग्य पाए गए। हालांकि, गंगोत्री व उत्तरकाशी से संग्रह जल की गुणवत्ता तुलनात्मक रूप से ऋषिकेश से बेहतर मिले है।

वहीं दूसरी ओर ऋषिकेश में वहां घूमने आने वाले लोगों की वजह से भी गंगा का पानी काफी प्रभावित होता है। बायोलॉजिकल पैरामीटर जैसे ई-कोलाई अधिकतम ऋषिकेश में व गंगोत्री तथा उत्तरकाशी में बैक्टीरिया  बेहद कम पाया गया। रिपोर्ट दर्शाता है कि जैसे जैसे मानवीय हस्तक्षेप बढ़ रहा है, पवित्र गंगा जल के गुणवत्ता में ह्रास देखने को मिल रहे हैं।

राइका भंकोली में विज्ञान के शिक्षक डॉ. शंभू प्रसाद नौटियाल ने कहा कि गंगा की स्वच्छता के लिए गंगोत्री से लेकर गंगा सागर तक गंगा साक्षरता की जरूरत है। गंगा में गिर रहे गंदे नालों और सीवर नालों की टेपिंग और ट्रीटमेंट सही तरीके से हो। गंगा किनारे के कृषि क्षेत्र में रसायनिक खादों के प्रयोग पर रोक लगाने की जरूरत है।

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