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उत्तराखंड: कोरोना ने पकड़ी रफ्तार, अस्पताल ही नहीं मिल रही जगह 

उत्तराखंड में कोरोना कहर तेजी से बढ़ता जा रहा है। कोविड-19 की नई लहर हरिद्वार में भी कहर बरपाने लगी है। कोरोना संक्रमितों के साथ-साथ मृतकों की संख्या लगातार बढ़ने लगी है। अस्पतालों से लेकर श्मशान घाटों पर कोविड शवों की अंत्येष्टि के लिए कतार लग रही है।

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पिछले 24 घंटे में 32 कोविड शवों का दाह संस्कार हुआ है। परिजनों को एंबुलेंस में शव के साथ घंटों इंतजार करना पड़ रहा है। अंधेरा होने और घाटों पर दबाव बढ़ने से शवों को अगले दिन अंत्येष्टि के लिए लाने की बात कह कर लौटाने तक की नौबत आ रही है।

हरिद्वार में गुरुवार को 730 मरीज आने के साथ एक्टिव केसों की संख्या बढ़कर 2286 पहुंच गई। नए मरीज आने का सिलसिला जारी है। अब अधिकतर मरीज स्थानीय हैं। रोजाना नए मरीजों की तुलना में ठीक होने वालों की दर 30 फीसदी ही है। पहले से गंभीर बीमारियों से पीड़ित और बुजुर्गों को कोरोना शिकार बनाने लगा है। कई लोगों को कोविड जांच करवाने तक का मौका नहीं मिल रहा है।

बुखार आते उनकी मौत हो रही है। इससे श्मशान घाटों पर कोविड के अलावा नॉन कोविड शवों की संख्या अचानक बढ़ गई है। कनखल श्मशान घाट सेवा समिति के कार्यकर्ता हरिओम बताते हैं नॉन कोविड शवों की तादात बढ़ रही है। इनमें बुजुर्ग अधिक हैं। 24 घंटे में 13 कोविड शवों की अंत्येष्टि हुई। घाट पर कोविड शव के दाह संस्कार के लिए अलग जगह निर्धारित है। एक शव की अंत्येष्टि में औसतन डेढ़ से दो घंटे लगते हैं।

तब तक बाकी शव एंबुलेंस में कतार में रहते हैं। बारी-बारी से शवों का दाह संस्कार कराया जा रहा है। हरिओम ने बताया कि बुधवार को पांच अंत्येष्टि हुई। रात अधिक होने पर चार शवों को एंबुलेंस से ही लौटाया गया।

गुरुवार सुबह सात बजे ही चार कोविड शव अंत्येष्टि के लिए पहुंच गए। कुल आठ कोविड शवों का दाह संस्कार किया गया। खड़खड़ी श्मशान घाट के सेवादार गोपाल ने बताया कि 24 घंटे की अवधि में 11 शवों की कोविड प्रोटोकाल से अंत्येष्टि की गई है। हर रोज कोविड शवों की संख्या बढ़ रही है। चंडी घाट श्मशान घाट के प्रभारी मान सिंह के मुताबिक गुरुवार को तीन कोविड शवों की अंत्येष्टि हुई, जबकि बुधवार को पांच कोविड शवों का दाह संस्कार हुआ।  24 घंटे में आठ कोविड शवों को जलाया गया। 

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तीन श्मशान घाटों पर प्रतिदिन औसतन 30 से अधिक नॉन कोविड शवों का दाह संस्कार होता है। नॉन कोविड शवों के साथ लोगों की भीड़ रहती है। अंत्येष्टि होने पर लोग वहां बेंच आदि पर बैठते हैं। कोविड के शव भी श्मशान घाट परिसर में ही जलाए जा रहे हैं। इससे नॉन कोविड शव यात्रा में आने वालों में दहशत है। नगर निगम की ओर से सैनिटाइजेशन भी नहीं हो रहा है। 

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