
उत्तराखंड : मरीज को छूने या संपर्क में आने से नहीं फैलता ब्लैक फंगस
कोरोना के साथ अब ब्लैक फंगस अब लोगों के लिए परेशानियां खड़ी कर रहा है। हिमालयन अस्पताल जौलीग्रांट के चिकित्सा अधीक्षक डॉ. एसएल जेठानी ने कहा कि ब्लैक फंगस भले ही पैर पसार रहा हो। लेकिन घबराने की बात नहीं है। रोगी को छूने अथवा उसके संपर्क में आने से यह नहीं फैलता है।
मुख्य चिकित्सा अधीक्षक डॉ. एसएल जेठानी ने बताया कि म्यूकोररमाईकोसिस एक प्रकार का फफूंद संक्रमण है। जो सामान्य: कम ही देखने को मिलता है। यह बीमारी मुख्यत: नाक और साइनेसस, आंख, फेफड़े, आंत और त्वचा आदि अंगों को प्रभावित करती है।
उन्होंने बताया तेज सिरदर्द, नाक बंद होना, नाक से खून, काले रंग की पपडी आना-नाक के आसपास कालापन, मुंह में काला चकता, आंखों से दो-दो दिखाई देना ब्लैक फंगस के प्रमुख लक्षण हैं। बताया कि हिमालयन अस्पताल में ब्लैक फंगस बीमारी के उपचार के लिए चिकित्सकों की संयुक्त टीम गठित की गई है। जांच की सभी सुविधाएं भी मुहैया कराई जा रही है।
तीन चरणों में होता है इलाज
डॉ. एसएल जेठानी ने बताया कि इसका उपचार तीन चरणों में होता है। पहले शुगर लेवल कंट्रोल और मरीज को एंटीफंगल दवा दी जाती है। पहले चरण में मुख्यत: डायबिटिज के मरीजों को हो रहा है। जिसे शुगर लेवल नियंत्रित करना जरूरी है। जिसे मेडिसिन विशेषज्ञ की देख रेख में किया जाता है। दूसरे चरण में एंटीफंगल दवा एमफोरटेरिसिन-बी तीन सप्ताह तक दी जाती है। गुर्दे पर प्रभाव न पड़े इसके लिए समय समय पर अस्पताल जाना जरूरी है। तीसरा चरण अति आवश्यक चरण ऑपरेशन है। मरीज के काले पड़े अंग को सर्जरी से निकाला जाता है। समय पर उपचार नहीं मिलने से मरीज की मृत्यु संभावना बढ़ जाती है।