उत्तराखंड में बीते 24 घंटे में 53 मरीजों की मौत हुई और 2991 नए संक्रमित मामले सामने आए हैं। वहीं, चमोली, चंपावत, नैनीताल और ऊधमसिंह नगर जिले के कई अस्पतालों ने पूर्व में हुई 40 संक्रमित मरीजों की मौत की डेथ ऑडिट रिपोर्ट दी है। कुल संक्रमितों की संख्या 321337 हो गई है, जबकि 43520 सक्रिय मरीजों का उपचार चल रहा है।
स्वास्थ्य विभाग के मुताबिक, बुधवार को 36 हजार से अधिक सैंपलों की जांच की गई, जिसमें 33765 सैंपल निगेटिव मिले हैं। ऊधमसिंह नगर जिले में सबसे अधिक 815 संक्रमित मरीज मिले हैं। देहरादून में 414, नैनीताल में 370, हरिद्वार में 283, टिहरी में 196, पौड़ी में 194, चमोली में 175, अल्मोड़ा में 149, पिथौरागढ़ में 122, रुद्रप्रयाग में 98, उत्तरकाशी में 79, बागेश्वर में 68, चंपावत जिले में 28 संक्रमित मिले हैं।
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प्रदेश में 24 घंटे में 53 कोरोना मरीजों ने उपचार के दौरान दमतोड़ा है। अब तक प्रदेश में 6113 मरीजों की मौत हो चुकी है। जबकि 4854 मरीजों को इलाज के बाद डिस्चार्ज किया गया। इन्हें मिला कर 266182 मरीज स्वस्थ हो चुके हैं। संक्रमितों की तुलना में ज्यादा मरीज ठीक होने से रिकवरी दर 82.84 प्रतिशत हो गई है। जबकि सैंपल जांच के आधार पर संक्रमण दर 6.95 प्रतिशत दर्ज की गई।
डेडिकेटेड एनआईसीयू और पीआईसीयू वार्ड अलग से तैयार
कोरोना संक्रमण की तीसरी संभावित लहर से बचाव के लिए हिमालयन अस्पताल ने एहतियाती कदम उठाने शुरू कर दिए हैं। अस्पताल में नियोनेटल, बाल रोग विभाग, नर्सिंग, इंफेक्शन कंट्रोल समेत अन्य मेडिकल स्टॉफ और टास्क फोर्स गठित कर दी गई है।
एसआरएचयू कुलपति डॉ. विजय धस्माना ने बताया कि स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने कोरोना की तीसरी लहर की आंशका व्यक्त की है। इसमें बच्चों को अधिक खतरा बताया जा रहा है। अस्पताल ने तीसरी लहर के लिए मास्टर प्लान तैयार किया है। डॉ. धस्माना ने बताया कि कोविड अस्पताल की बिल्डिंग में कोविड डेडिकेटेड एनआईसीयू और पीआईसीयू वार्ड अलग से तैयार कर लिया गया है।
शुरूआती चरण में दोनों की क्षमता 10 से 20 बिस्तरों की होगी। इसमें आवश्यक उपकरण लगाए जा रहे हैं। वार्ड में एक परिजन के रुकने और भोजन की व्यवस्था की जाएगी। परिजनों को कोविड नियमों का पालन करना होगा। विशेषज्ञों की निगरानी में तमाम चिकित्सकों ,नर्सों और अन्य मेडिकल स्टॉफ को विशेष ट्रेनिंग दी जा रही है।
गठित की गई टास्क फोर्स का काम कोविड वार्ड दवाई, मेडिकल उपकरण सहित अन्य जरूरतों और बेड की उपलब्धता के लिए समन्वय करना रहेगा। उन्होने बताया कि अस्पताल की सभी ओपीडी और आईपीडी सेवाएं भी सुचारू हो गई है। गंभीर रोगियों के लिए उपचार के लिए सर्जरी भी शुरू कर दी गई है।