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उत्तर प्रदेश : प्रदेश के आठ कॉलेज राजकीय महाविद्यालय के रूप में होंगे संचालित
उत्तर प्रदेश के आठ कालेज राजकीय महाविद्यालय के रूप में संचालित होंगे। चार राज्यों के ये कालेज विश्वविद्यालयों के अंतर्गत आते हैं। उच्च शिक्षा अपर मुख्य सचिव ने चारों कॉलेज के कुलपतियों को शर्तों के साथ अनुमति के निर्देश जारी किए है। इसी शैक्षिक सत्र से इन महाविद्यालयों में शिक्षण कार्य शुरू होना है। इन सभी कालेजों के शिक्षक और शिक्षणेतर कर्मचारी राज्य सरकार के कर्मचारी नहीं होंगे।
सरदार भगत सिंह राजकीय महाविद्यालय ढाका पुवायां शाहजहांपुर, राजकीय महाविद्यालय मीरापुर बंगर बिजनौर, राजकीय महाविद्यालय भदपुरा नवाबगंज बरेली, राजकीय महाविद्यालय कटरा चुग्घूपुर सुल्तानपुर, राजकीय महिला महाविद्यालय परसवां खंडासा मिल्कीपुर अयोध्या, राजकीय महाविद्यालय भवानीपुर कला गोंडा, राजकीय महिला महाविद्यालय शेख सराय सीतापुर तथा राजकीय महाविद्यालय रसूलपुर रूरी उन्नाव के ये कॉलेज राजकीय महाविद्यालयों के रूप में संचालित होंगे।
बीती 15 जनवरी को शासन ने प्रदेश के 12 राज्य के विश्वविद्यालयों के कुलपति को यह निर्देश दिए कि सुलतानपुर और उन्नाव जिले में राजकीय महाविद्यालय बनकर तैयार हो चुका है, जबकि 72 राजकीय महाविद्यालय अभी बन रहे हैं। नवनिर्मित महाविद्यालय और निर्माणाधीन महाविद्यालयों को संबंधित राज्य विश्वविद्यालय के अंतर्गत संघटक महाविद्यालय के रूप में चलाने का निर्णय शासन द्वारा लिया गया है।
शासन ने कुलपतियों से कार्ययोजना के साथ कालेजों को संचालन का प्रस्ताव भी मांगा था। उनमें से चार विश्वविद्यालय, महात्मा ज्योतिबा फुले रुहेलखंड विश्वविद्यालय बरेली, डा.राममनोहर लोहिया अवध विश्वविद्यालय अयोध्या, लखनऊ विश्वविद्यालय और छत्रपति शाहू जी महाराज विश्वविद्यालय कानपुर के कुलपतियों ने आठ संघटक महाविद्यालयों को संचालित करने का प्रस्ताव दिया है।
अपर मुख्य सचिव मोनिका एस गर्ग ने महाविद्यालयों को संचालित करने के लिए शर्तों के साथ अनुमति प्रदान की है। विश्वविद्यालयों का इन कालेजों पर पूर्ण रूप से प्रशासकीय, वित्तीय और शैक्षणिक नियंत्रण भी रहेगा। महाविद्यालय का भवन, साज-सज्जा, भूमि और भंडार सभी कुछ विश्वविद्यालय को हस्तांतरित किया जाएगा। भूमि को सिर्फ महाविद्यालय के उपयोग में ही लाया जाएगा।
विश्वविद्यालय द्वारा ही छात्रों को डिग्री, डिप्लोमा और सर्टिफिकेट भी मिलेगा। प्राचार्य पद संघटक महाविद्यालय में रहेगा। प्राचार्य को पंजीकृत छात्रों, अधीनस्थ कर्मचारियों के अनुशासन और सामान्य नियंत्रण का अधिकार रहेगा।
विश्वविद्यालय के सक्षम अधिकारी महाविद्यालयों की जरूरत के अनुसार शैक्षणिक और शिक्षणेतर कर्मचारियों के पदों पर संविदा के माध्यम से नियुक्तियां करेंगे। स्ववित्त पोषित पाठ्यक्रमों से होने वाली आय से विश्वविद्यालय के शिक्षक और कर्मचारियों का वेतन दिया जायेगा।
महाविद्यालयों की आधारभूत संरचना और फर्नीचर पर होने वाले सभी खर्च विश्वविद्यालय द्वारा वहन किए जायेंगे। विश्वविद्यालय की जिम्मेदारी परीक्षा कराना और परिणाम घोषित करना होगा।