ईधन के रूप में खपाएं पराली, मिलेगा इंसेटिव, उद्योगों को मिलेंगी वित्तीय रियायतें
धान के सीजन के बाद 200 लाख टन निकलने वाली पराली को पंजाब सरकार ने संभालने के इरादे से ईंधन के रूप में उद्योगों को पराली को जलाने की मंजूरी दे दी है। चीनी मिलें, पल्प तथा पेपर मिलें व 25 टीपीएच से ज्यादा भाप पैदा करने ले सामर्थ्य बायलर वाले उद्योगों की यह लाभ मिल सकता हैं। इस प्रस्ताव को कैबिनेट ने गुरुवार को मंजूरी दी।
पहले आओ पहले पाओ के आधार पर कैबिनेट ने बायलर में पराली को ईंधन के रुप में रखने के लिए पहले 25 करोड़ रुपये की वित्तीय रियायत देने का 50 मौजूदा उद्योगों को निर्णय किया है। पंचायती जमीन की उपलब्धता के लिहाज से पराली भंडारण के लिए उद्योगों को 33 साल तक के लीज के साथ गैर-वित्तीय रियायतों के लिए 6% प्रति वर्ष वृद्धि दर की अनुमति भी दे दी गई है। उन एरिया में पहल के आधार पर बायलर उपलब्ध करवाए जाएंगे, जहां पर बायलर में ईंधन के रूप में धान की पराली को प्रयोग किया जाता है।
इसके विस्तार प्रस्ताव को रखने वाली डिस्टिलरियों और ब्रुअरीज को पुराने बायलरों को बदलने अथवा नए बायलरों को लाने से नई व मौजूदा ईकाइयों को ईंधन के रूप में पराली को प्रयोग करना चाहिए। खरीफ फसलों की कटाई के दौरान सरकार के इस कदम से पराली जलाने की समस्या से मदद मिलेगी।
खेतों में पराली जलाने के कारण अक्टूबर-नवंबर महीने के दौरान प्रदूषण की समस्या व्यापक रूप बढ़ जाती है। राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में भी मौसमी स्थितियों के कारण हवा दूषित होती है। अपने औद्योगिक कामों के लिए पराली को राज्य के कुछ उद्योग बायलर में बरत रहे हैं।