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महिला अपराधों के निस्तारण में यूपी का वर्चस्व बरकरार 

- मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने उच्च स्तरीय बैठक में गृह विभाग की थपथपाई पीठ

लखनऊ: मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ महिलाओं एवं बच्चियों से संबंधित अपराधों को कम करने, इन अपराधों में लिप्त आरोपियों को सख्त से सख्त सजा दिलाने के लिए संकल्पित हैं। यही वजह है कि प्रदेश में पिछले छह वर्षों में इन अपराधों में काफी कमी आई है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ स्वयं महिला अपराधों समेत प्रदेश के लॉ एंड ऑर्डर को लेकर लगातार मॉनिटरिंग करते रहे हैं तो वहीं मुख्य सचिव द्वारा हर माह समीक्षा बैठक और डीजीपी द्वारा पुलिस अधिकारियों को समय-समय पर इन अपराधों को लेकर जारी दिशा-निर्देशों से ऐसे अपराधों पर नियंत्रण लाने में काफी हद तक सफलता मिली है। महिला एवं बाल सुरक्षा संगठन ने 6 जुलाई तक महिला अपराध संबंधी मामलों को 97.80 प्रतिशत तक निस्तारित कर पूरे देश में उत्तर प्रदेश ने दूसरा स्थान प्राप्त किया है। इसी तरह लंबित इन मामलों के निस्तारण में भी पूरे देश में उत्तर प्रदेश ने दूसरा स्थान प्राप्त किया है जबकि इन मामलों में एफआईआर दर्ज कर जांच के मामलों में पूरे देश में उत्तर प्रदेश पांचवें स्थान पर है।

बिहार का है सबसे खराब प्रदर्शन 

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने हाल ही में महिला एवं बच्चियों संबंधी अपराध आईपीसी की धारा 376, महिला उत्पीड़न और पॉक्सो एक्ट को लेकर एक उच्च स्तरीय बैठक की, जिसमें पुलिस अधिकारियों को जीरो टॉलरेंस नीति के तहत इन अपराधों पर लगाम लगाने के साथ दर्ज मामलों में कम से कम समय में आराेपियों को सजा दिलाने की बात कही। इस पर पुलिस अधिकारियों ने सीएम योगी को बताया कि 6 जुलाई 2023 तक आईपीसी की धारा-376 तथा पॉक्सो एक्ट के तहत दर्ज एफआईआर को निस्तारित कर 97.80 प्रतिशत के साथ प्रदेश ने पूरे देश में दूसरा स्थान प्राप्त किया है। उन्होंने सीएम योगी को बताया कि इन मामलों में पहले स्थान पर दादरा और नगर हवेली एवं दमन दीव हैं, जिनका रेश्यो 98.30 प्रतिशत है, जबकि तीसरे स्थान पर पुडुचेरी है, जिसका रेश्यो भी 97.50 है। वहीं इन मामलों में सबसे खराब प्रदर्शन बिहार का रहा है, जिसका रेश्यो 18.5 प्रतिशत है। इसके बाद मणिपुर का 20.6 प्रतिशत और असम का 46.7 प्रतिशत है।

प्रदेश में सबसे अच्छा भदोही का रहा प्रदर्शन

वहीं उत्तर प्रदेश के जिलों की बात करें तो भदोही में 6 जुलाई तक महिलाओं के खिलाफ अपराधों से संबंधित कुल 230 मामले दर्ज किए गए, जिसे बिना देर किए हुए सभी मामलों में फाइनल रिपोर्ट समिट कर प्रदेश में पहला स्थान प्राप्त किया है। दूसरे पायदान पर मऊ है, जहां 659 मामले दर्ज किए गए, जिसमें से 656 मामलों में फाइनल रिपोर्ट समिट की गई। इसका रेश्यो 99.54 प्रतिशत रहा। वहीं तीसरे पायदान पर बलरामपुर रहा, जहां 605 मामले दर्ज किए गए, जिसमें से 601 मामलों में फाइनल रिपोर्ट समिट की गई। इसका रेश्यो 99.34 प्रतिशत रहा।

महिला संबंधी अपराधों की जांच प्रक्रिया में और तेजी लाने के निर्देश

वहीं आईपीसी की धारा-376 तथा पॉक्सो एक्ट के मामलों में दो माह से अधिक समय तक जांच लंबित होने के मामलों में 0.30 प्रतिशत के साथ उत्तर प्रदेश का देश में दूसरा स्थान है। इसी प्रकार दर्ज एफआईआर में दो माह के भीतर जांच प्रक्रिया पूरी करने में 73.10 प्रतिशत के साथ उत्तर प्रदेश का पांचवां स्थान है। इस पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बैठक में मौजूद गृह विभाग के अधिकारियों को जांच प्रक्रिया में तेजी लाने तथा लंबित जांच को जल्द से जल्द पूरा करने के निर्देश दिये। उन्होंने कहा कि इस संबंध में जब अगली बैठक हो तो इन दोनों बिंदुओं पर भी उत्तर प्रदेश देश में पहले पायदान पर हो। इससे देश ही नहीं बल्कि विदेशों में भी प्रदेश की एक अलग छवि बनेगी। अच्छी छवि का सीधा प्रभाव निवेश पर पड़ेगा। इससे हम प्रदेश को वन ट्रिलियन डॉलर इकोनॉमी बनाने के सपने को जल्द से जल्द पूरा कर सकेंगे। उन्होंने अधिकारियों को निर्देश दिये कि इन मामलों में जिन जिलों का प्रदर्शन अच्छा नहीं है इन पर खासा फोकस किया जाए। इससे जहां प्रदेश में महिला संबंधी अपराध में कमी आएगी वहीं दूसरी ओर लोगों में पुलिस के प्रति विश्वास बढ़ेगा। उन्होंने कहा कि जिला स्तर पर पॉक्सो एक्ट से संबंधित मामलों की हर महीने समीक्षा भी की जाये।

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