
UP के स्वास्थ्य उपकेंद्रों को किया जा रहा अपग्रेड, टेली मेडिसिन से जुड़ेंगे 21675 वेलनेस सेंटर: ब्रजेश पाठक
उप मुख्यमंत्री ने कहा- प्रदेश की स्वास्थ्य सेवाओं को बेहतर बनाने के लिए सरकार प्रतिबद्ध
लखनऊ: उत्तर प्रदेश की स्वास्थ्य सेवाओं को बेहतर बनाने के लिए सरकार ने अहम कदम उठाया है। स्वास्थ्य उपकेंद्रों को प्रधानमंत्री आयुष्मान भारत वेलनेस सेंटर में तब्दील करने की प्रक्रिया शुरू हो गई है। इन वेलनेस सेंटरों को टेलीमेडिसिन से जोड़ा जायेगा, जिससे रोगियों को विशेषज्ञ डॉक्टरों की सलाह मिल सके।
उप मुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक ने बुधवार को स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों को स्वास्थ्य उपकेंद्रों को अपग्रेड कर वेलनेस सेंटर में तब्दील करने की प्रक्रिया में तेजी लाने के निर्देश दिए। प्रदेश के 21675 उपकेंद्रों को प्रधानमंत्री आयुष्मान वेलनेस सेंटर को कन्वर्ट किया जाएगा। इन्हें टेलीमेडिसिन से जोड़ा जायेगा। यहां रोगियों को उपचार संबंधी सलाह मिलेगी। जिन बीमारियों का इलाज उपकेंद्र पर संभव नहीं होगा, उन मरीजों को टेलीमेडिसिन के माध्यम से विशेषज्ञ डॉक्टरों की सलाह मुहैया कराई जाएगी।
नि:शुल्क दवाएं और मुफ्त जांचों की सुविधा
उन्होंने बताया कि रोगियों को डॉक्टर की सलाह पर निःशुल्क दवाएं उपलब्ध कराई जाएंगी। मुफ्त जांचें भी होंगी। उपकेंद्रों के अपग्रेड होने से ग्रामीणों को सर्दी-जुकाम, बुखार जैसी सामान्य बीमारियों के लिए बड़े अस्पतालों तक दौड़ नहीं लगानी पड़ेगी। घर के नजदीक रोगियों को उपचार की सुविधा मिल सकेगी।
18000 सीएचओ हुए तैनात
डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक ने बताया कि पिछले चार साल के दौरान प्रधानमंत्री आयुष्मान वेलनेस सेंटर में लगभग 18000 कम्युनिटी हेल्थ ऑफिसर (सीएचओ) की तैनाती की जा चुकी है। बाकी बचे सेंटरों में भी जल्द ही सीएचओ नियुक्त किये जायेंगे।
आशा बहनों को दिया जा रहा स्मार्टफोन
उप मुख्यमंत्री ने बताया कि प्रदेश की 1,60,000 आशा बहनों को स्मार्ट फोन दिया गया है, जिसमें से 80 हजार स्मार्ट फोन तो बीते तीन से चार माह में वितरित किये गये हैं। स्मार्ट फोन में ई-कवच के माध्यम से घर-घर जाकर परिवारों का डेटा इनपुट किया जा रहा है। इससे चिकित्सा सेवा जैसे टीकाकरण आदि से छूटे लोगों का पता लगाया जा सके। छूटे बच्चे, गर्भवती महिला व अन्य लोगों का पता लगने के बाद शिविर लगाकर इनका टीकाकरण कराया जा सके।