
लखनऊ: उत्तर प्रदेश 18 विधानसभा पिछली विधानसभा की तरह भारतीय जनता पार्टी के नेतृत्व में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन सबसे बड़े दल और समाजवादी पार्टी जहां सदन में विपक्षी दल के रूप में दिखेगी वहीं विधानसभा में दलों की मौजूदगी का स्वरूप बदला बदला सा दिखेगा। बता दें कि अब योगी सरकार विधान भवन में उन्हें आवंटित होने वाले कक्षों में भी बदलाव कर सकती है। क्योंकि विधान सभा चुनाव 2017 में जहां बहुजन समाजवादी पार्टी तीसरी सबसे बड़ी पार्टी दल बनकर उभरी थी तो वहीं इस बार अपना दल एस प्रदेश की तीसरी सबसे बड़ी पार्टी उभरकर सामने आई है।
कहा जाता है कि ऐसी परंपरा है कि जिस भी पार्टी या दल में कम से कम 1% यानी 4 सीटें जीतने वाले दल को विधानसभा में कार्यालय के लिए कक्ष आवंटित होता है। इसलिए विधान भवन कार्यालय में कांग्रेस बसपा और जनसत्ता दल आवंटित होने में मुश्किल आ सकती है क्योंकि इन सभी दलों के विधायकों की संख्या एक और दो ही है।
इस संदर्भ में विधानसभा के विशेष सचिव ब्रज भूषण दुबे ने कहा छोटे दलों को कक्ष आवंटित करना विधानसभा अध्यक्ष के विवेक और कच्छ की उपलब्धता पर निर्भर करता है और छोटे दलों से उनका आशय 4 से कम सीट पाने वाले दलों से हैं।
दरअसल 2017 विधानसभा चुनाव में जहां राष्ट्रीय लोक दल को एक विधायक होने के चलते उन्हें आवंटित नहीं हुआ था वहीं इस बार उस पार्टी के 8 विधायक हैं उन्हें आवंटित होगा पिछले बार की 4 सीटों की तुलना में इस बार 6 सीटें सुभाष पाल ने जीती हैं और उनका कच्छ बरकरार रहेगा और अपना दल का भी कार्यालय पहले से मौजूद है लेकिन तीसरा बड़ा दल होने के नाते पार्टी कच्छ के लिए दावे दीपेश कर सकती है।