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यूपी: उपचुनाव के बाद बढ़ेगा शिवपाल यादव का कद या होंगे ‘चुनावी चाचा’
सपा की साख बचाने के लिए शिवपाल सिंह यादव एकबार फिर मान-सम्मान को दरकिनार कर बहू डिंपल यादव को जिताने में जुट हुए हैं।
लखनऊ: उत्तर प्रदेश में मैनपुरी लोकसभा और रामपुर व खतौली विधानसभा सीटों पर सोमवार को मतदान होगा। इनमें मैनपुरी लोकसभा सीट और रामपुर विधानसभा सीट पर लंबे समय से समाजवादी पार्टी का दबदबा रहा है। सपा के गढ़ मैनपुरी का बचाने के लिए जहां पूरा सैफई कुनबा जुटा हुआ है, तो वहीं रामपुर में सपा प्रत्याशी आसीम रजा के प्रचार की कमान आजम खान संभाले हुए हैं। वर्ष 2016 से सपा में राजनीतिक हैसियत तलाश रहे शिवपाल सिंह यादव को अखिलेश यादव ने इस बार स्टार प्रचारक बनाते हुए बड़ी जिम्मेदारी सौंपी है। अखिलेश यादव के इस सियासी दांव के कई मायने निकाले जा रहे हैं। हालांकि भतीजे और सपा की साख बचाने के लिए शिवपाल सिंह यादव एकबार फिर मान-सम्मान को दरकिनार कर बहू डिंपल यादव को जिताने में जुट हुए हैं।
शिवपाल सिंह यादव जनता के बीच अपने बड़े भाई मुलायम सिंह को याद कर जहां बहू डिंपल यादव की जीत सुनिश्चित कराने की हर संभव कोशिश कर रहे हैं। वहीं बीजेपी उन्हें ‘चुनावी चाचा’ नाम से संबोधित कर उनके स्वाभिमान को चुनौती देने में लगी हुई है। भाजपा के ‘चुनावी चाचा’ नाम में दम भी है। क्योंकि वर्ष 2016 में सपा संरक्षक मुलायम सिंह यादव की मौजूदगी में अखिलेश यादव ने शिवपाल सिंह यादव को पार्टी से बाहर कर दिया था। काफी दिनों के इंतजार के बाद शिवपाल यादव ने मुलायम सिंह यादव की सहमति से प्रगतिशील समाजवादी पार्टी का गठन किया।
Cमें उन नेताओं को शामिल किया गया, जिन्हें शिवपाल सिंह यादव का पक्ष लेने पर सपा से निकाल दिया गया था। अपनी अलग पार्टी बनाने के बाद भी शिवपाल सिंह यादव का लगाव अपने परिवार से कम नहीं हुआ। यूपी विधानसभा चुनाव 2022 में जब भतीजे अखिलेश यादव ने सत्ता में वापसी के लिए चाचा शिवपाल यादव को याद किया तो वह उन्होंने अपनी पार्टी की हैसियत को दांव पर लगा दिया। चुनाव से पहले शिवपाल ने अखिलेश यादव से समझौता कर लिया। इस समझौते में भी अखिलेश ने चाचा शिवपाल को जसवंत नगर सीट से टिकट दिया, बाकी उनके सुझाए गए दावेदारों को साइड कर दिया।
विधानसभा चुनाव में सपा की शर्मनाक हार के बावजूद शिवपाल सिंह यादव अपनी सीट जीतने में सफल रहे। लेकिन चुनाव बाद अखिलेश यादव ने एक बार फिर उनसे दूरी बना ली। मीडिया की तरफ से चाचा के रिश्तों को लेकर किए गए सवालों पर अखिलेश यादव ने कहा, वह स्वतंत्र हैं जहां जाना चाहे जा सकते हैं। हालांकि सपा संरक्षक मुलायम सिंह यादव के निधन के बाद शिवपाल यह कहते नजर आए कि उन्हें सपा में जो भी जिम्मेदारी मिलेगी उसका वह निर्वाहन करने को तैयार हैं।