UP: लोकसभा चुनाव पर मायावती का फोकस, मुस्लिम मतों में सेंध लगाएगी बसपा
लोकसभा चुनाव के मैदान में उतरे ताकि वर्ष 2014 में लोकसभा चुनाव जैसी नौबत पार्टी के सामने फिर न आए।
लखनऊ: उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री मायावती अभी से ही 2024 लोकसभा चुनाव की तैयारी में जुट गई है। मायावती मुस्लिम समाज में बसपा की पैड बनाने की गहरी जुगत में है इसी क्रम में आजमगढ़ में हुए लोकसभा उपचुनाव में सारा आलम उर्फ गुड्डू जमाली और अब पश्चिमी उत्तर प्रदेश की राजनीति में दखल रखने वाले इमरान मसूद को साथ लेकर मायावती ने एक बार फिर मुस्लिमों में पार्टी के प्रति बैग बनाने में जुट गई है। मायावती की कोशिश है कि मुस्लिम समाज में पैक बनाकर सपा के मुस्लिम नेताओं को हाथी पर सवार का लोकसभा चुनाव के मैदान में उतरे ताकि वर्ष 2014 में लोकसभा चुनाव जैसी नौबत पार्टी के सामने फिर न आए।
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समाजवादी पार्टी से मुस्लिम समाज का हुआ मोहभंग
बसपा नेताओं का मानना है कि जिस तरह से सपा और दूसरे दल के मुस्लिम नेता बसपा से जुड़ा उससे साफ है कि मुस्लिम समाज का सपोर्ट दूसरे दलों से मोहभंग हो रहा है। बसपा के प्रवक्ता ने कहा कि समाजवादी पार्टी के साथ-साथ अन्य दलों के नेता भी बसपा में जुड़ना चाह रहे हैं। लेकिन मायावती जी का कहना है कि पार्टी में उन्हीं को ही लेंगे जो अच्छी नियत वह पूरी दमदार इसे काम करने के वादे के साथ बसपा में आने को तैयार होंगे। बसपा प्रवक्ता ने कहा कि समाजवादी पार्टी को देखकर मुस्लिम समाज आप स्वयं को ठगा सा महसूस कर रहा है। मुस्लिम समाज अप यह समझ गया है कि सपा को वोट देने से उनकी सरकार कभी नहीं बनने वाली जबकि दलित के साथ मुस्लिम के आने पर बसपा कि सरकार बनाते हैं।
मायावती का मानना है कि पिछले लोकसभा चुनाव की तरह सपा से गठबंधन न होने पर दलित मुस्लिम की मजबूत गठजोड़ के जरिए पार्टी बेहतर प्रदर्शन कर सकती है। मई 2019 में लोकसभा चुनाव में बसपा के 10 सांसद तक जीते थे जब सपा से गठबंधन था उससे पहले वर्ष 2014 में लोकसभा चुनाव में तो पार्टी सुनने पर पहुंच गई थी जान सभा चुनाव में बसपा के शर्मनाक प्रदर्शन के पीछे एक बड़ा कारण था मुस्लिमों का एकतरफा वोट समाजवादी पार्टी को देना।